Media Editing Theory, Sound and Lighting
![]() |
Media Editing Theory, Sound and Lighting |
Media Editing Theory, Sound and Lighting मीडिया संपादन सिद्धान्त, आवाज व प्रकाश
is chapter me aap media editing theory, sound, lighting ke baare me padhenge, electronics media me sampadan, dhavni v parkash vyvstha, programme sanchalanइलेक्ट्रॉनिक माध्यम का सम्पादन सिद्धान्त Editing Theory of Electronics Media
सम्पादन (Editing) का शाब्दिक अर्थ है, किसी काम को उचित और सही तरीके से करना।किसी पुस्तक का विषय या लेख आदि देखकर उसकी त्रुटियाँ दूर करके, भाषा- व्याकरण शैली में सुधार करके, पृष्ठ की साज- सज्जा देखकर एवं मुद्रण को देखकर उन्हें प्रकाशन योग्य बनाना सम्पादन का अंग है। सम्पादन का कार्य आसान नहीं है, जैसा कि जे एडवर्ड मरे ने कहा है, “यह अत्यन्त परिश्रम साध्य एवं अभ्यास अपेक्षित बौद्धिक कार्य है, जिसमें मेधा, निपुणता और अभिप्रेरणा की आवश्यकता होती है। इसलिए सम्पादन कार्य करने वाले व्यक्ति को न केवल सावधानी रखनी होती है, बल्कि अपनी क्षमताओं, अभिरुचि तथा निपुणता का पूरा-पूरा प्रयोग करना होता है। उसे अपने कार्य का पूरा ज्ञान ही नहीं होना चाहिए बल्कि कार्य के प्रति लगाव भी होना चाहिए।”
समाचार-पत्र कार्यालय में विभिन्न स्रोतों से समाचार प्राप्त होते हैं। कुछ समाचार संवाददाता भेजते हैं, तो कुछ एजेन्सियाँ भेजती हैं। समाचार कक्ष में 'डेस्क' (Desk) पर एकत्र किया जाता है। उप-सम्पादक इन सब प्राप्त सामग्री की छँटनी करते हैं, वर्गीकरण करते हैं और उन्हें प्रकाशन योग्य बनाते हैं। यह पूरी प्रक्रिया सम्पादन के अन्तर्गत आती है।
समाचारों का सम्पादन कार्य समाचार-पत्र का प्राण है। समाचार दैनिक पत्रों के साथ अर्द्ध-साप्ताहिक और साप्ताहिक, पत्रिकाओं में भी दिया जाता है। पत्रकारिता का सारतत्त्व सम्पादन की प्रक्रिया में निहित है। जैसा कि एबीसी न्यूज के प्रधान एलमर लोअर ने कहा है, “जो पत्रकार सम्पादन की क्रिया नहीं जानता, वह इस क्षेत्र में प्रवेश का अधिकारी नहीं है।”
टैलीप्रॉम्पटर और संकेत पट्ट Teleprompter
टैलीप्रॉम्पटर तथा संकेत पट्ट का उपयोग टेलीविजन में समाचारों के प्रसार हेतु किया जाता है। टैलीप्रॉम्पटर एक ऐसा उपकरण होता है, जिसमें लैंस अथवा प्लास्टिक की बनी पारदर्शी पट्टी के नीचे एक विशेष प्रकार के कागज में टाइप की हुई कॉपी लगाई जाती है, जोकि एक निर्धारित तय गति से समाचार प्रस्तुतकर्ता के समक्ष घूमती रहती है। इस यन्त्र के द्वारा अक्षरों का आकार बड़ा (करीब एक इंच तक) दिखाई पड़ता है।
टैलीप्रॉम्पटर से दर्शकों पर यह प्रभाव डालने का प्रयास किया जाता है कि समाचार प्रस्तोता समाचार को बिना कॉपी पर देखे केवल अपनी स्मरण शक्ति से समाचार सुना रहा है। स्वाभाविक रूप से यदि समाचारों को पढ़ने के लिए मात्र कागज पर ही दृष्टि रखी जाए तो दर्शक/श्रोता पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना होती है। इसीलिए टैलीप्रॉम्पटर
की सहायता से समाचार प्रस्तुतकर्ता समाचारों को इस भाव के साथ पढ़ता है , कि मानो वह प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से कोई समाचार बता अथवा दिखा रहा हो।
की सहायता से समाचार प्रस्तुतकर्ता समाचारों को इस भाव के साथ पढ़ता है , कि मानो वह प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से कोई समाचार बता अथवा दिखा रहा हो।
डोपशीट Dope sheet
डोपशीट टेलीविजन कैमरामैन द्वारा तैयार की गई उस शॉटसूची को कहते हैं, जिसे वह अपने व्यक्तिगत अनुभव, केन्द्र-निर्देशक, समाचार सम्पादक और समाचार -प्रस्तुतकर्ता के पूर्व परामर्श के अनुसार तैयार करता है। कैमरामैन किसी घटना का चित्राकन करते समय उसका प्राविधिक विवरण एक नोटबुक में नोट करता जाता है। इस विवरण में प्रत्येक शॉट की क्रम संख्या, शॉट का स्वरूप (लांग शॉट,क्लोज-अप शॉट आदि) , शॉट की लम्बाई से सम्बन्धित घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार लिखा जाता है कि उसके आधार पर समाचार सम्पादक और समाचार
प्रस्तुतकर्ता को अपने कर्त्तव्य पालन करने में किसी तरह की कोई असुविधा नहीं हो।
प्रस्तुतकर्ता को अपने कर्त्तव्य पालन करने में किसी तरह की कोई असुविधा नहीं हो।
ध्वनि एवं प्रकाश प्रारूप Sound and Light
रिपोर्टिंग में जहाँ तक सम्भव हो सके, ध्वनि शामिल करने से कवरेज में जीवन्तता आ जाती है या दूसरे शब्दों में कहें तो चित्र बोलते हुए से प्रतीत होते हैं। यूँ कहिए कि तस्वीरें वास्तव में बोलने लगती हैं। वीडियो/ फिल्म में ध्वनि दो तरह से रिकॉर्ड की जाती है- एक तो सिंक ध्वनि और दूसरी प्राकृतिक ध्वनि अथवा
शोर-शराबा।
शोर-शराबा।
रेडियो : सेट एवं प्रकाश व्यवस्था
रेडियो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का एक अन्य रूप है। टेलीविजन और रेडियो में यह अन्तर है कि यह टेलीविजन के समान दृश्य माध्यम नहीं है। श्रव्य माध्यम के लिए भी प्रसारण तकनीक के अन्तर्गत एक नियोजन प्रक्रिया अपनानी पड़ती है, जिससे विविध कार्यक्रमों का प्रसारण किया जा सके। इस योजना के अन्तर्गत सबसे पहला सवाल यह है कि कार्यक्रम का समय कितना है? कार्यक्रम का निर्माता कौन है, कार्यक्रम में समन्वय किस प्रकार होगा, इसके प्रसारण के लिए कितना व्यय होगा। इसे कार्यक्रम का नियोजन कहा जाता है। नियोजन की यह प्रक्रिया प्रसारण की तकनीक से जुड़ी है। पत्रिका कार्यक्रम का सम्बन्ध साहित्य से होता है। इन कार्यक्रमों में महिलाओं व बच्चों से जुड़े कार्यक्रम, ग्रामीण क्षेत्रों से सम्बन्धित कार्यक्रम तथा खेल व फिल्म सम्बन्धी कार्यक्रम आदि प्रमुख हैं।कलाकारों का चयन Selection of Artist
कार्यक्रम के लिए सबसे पहले कलाकारों का चयन किया जाता है। वार्ता और साक्षात्कार या परिचर्चा सभी में व्यक्तियों का चयन करना पड़ता है। उसके उपरान्त सामग्री संकलन करना आवश्यक है। समाचारों के लिए घटनाओं की जानकारी और फीचर के लिए श्रव्यात्मक सामग्री जुटाना आवश्यक है। टेलीविजन में इसे विजुअल्स कहेंगे पर रेडियो में इसकी आवश्यकता नहीं होती।प्रशासनिक प्रक्रिया
सामग्री संकलन के बाद प्रसारण निर्माता कार्यक्रम की रूपरेखा की संरचना करता है। इसमें उसे प्रशासनिक और तकनीकी औपचारिकताएँ पूरी करनी पड़ती हैं। प्रशासनिक प्रक्रिया के अन्तर्गत कार्यक्रम की रूपरेखा, संरचना और इसमें भाग लेने वालों के नाम सहित सारा प्रस्ताव बनाकर रेडियो निदेशक को देना पड़ता है। इस सारी सूचना के बाद प्रत्येक कलाकार का एक कार्ड बनता है और उसमें डाटा एण्ट्री होती है। इसमें कलाकार की पिछली रिकॉर्डिंग की तारीख और मानदेय अंकित किया जाता है।
निर्माता की प्रमुख भूमिका
पैनल कण्ट्रोल स्टूडियो से एक अलग कक्ष है, जहाँ कार्यक्रम निर्माता रिकार्डिंग के निर्देश देता है। पैनल कण्ट्रोल रूम के माइक्रोफोन से जुड़ा होता है। टेलीविजन में पैनल के मॉनीटर कैमरे के विज़न से जुड़े होते हैं और निर्माता के सामने माइक्रोफोन होता है, पर रेडियो में केवल माइक्रोफोन की सेटिंग ही जरूरी है। वार्ता या परिचर्चा में जो लोग भाग लेते हैं, वे माइक्रोफोन के सामने बैठते हैं। पैनल कण्ट्रोल रूम में ऑडियो पैनल पर बेठे ऑडियो इंजीनियर की यह जिम्मेदारी है कि सभी कलाकारों का ऑडियो सन्तुलन एक जैसा हो। यहाँ कंसोल पैनल होता है, जिसमें फैडर से आवाज को कम या ज्यादा किया जा सकता
कार्यक्रम का सम्पादन Editing of Programme
कार्यक्रम का सम्पादन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होता है। यदि सम्पादन ठीक से न किया जाए तो निर्माता का सारा श्रम व्यर्थ चला जाता है। सम्पादन के बाद प्रसारण के लिए फाइनल टेप तैयार होती है। यह टेप या तो कार्यक्रम निर्माता के पास होती है या फिर लाइब्रेरी में। प्रत्येक केन्द्र में फिक्स प्वाइण्ट चार्ट होता है। इस प्रकार प्रसारण स्टूडियो में प्रसारण के लिए स्क्रिप्ट तैयार हो जाती है।
प्रसारण यन्त्र
टेपरिकॉर्डर, कैसेट और माइक्रोफोन का रेडियो प्रसारण यन्त्रों में व्यापक महत्त्व है। यह टेलीविजन प्रसारण में भी काम आता है। रिकॉर्डिंग मैग्नेटिक टेप और डिस्क पर होती है। प्लास्टिक टेप पर पैरामेग्नेटिक पदार्थ की परत चढ़ी होती है, जिसकी रिकॉर्डिंग मेग्नेटिक परत चढ़ी प्लास्टिक डिस्क पर मॉड्यूलेटेड ध्वनि तरंगों से की जाती है। यही ग्रामोफोन रिकॉर्ड भी है।
कंसोल टेपरिकॉर्ड्स का प्रयोग स्टूडियो में किया जाता है। इनमें प्लेबैक की सुविधा भी होती है। इसी प्रकार कंसोल टेप डेक भारी मशीन है, जो रिकॉर्ड की गई टेप को प्लेबैक करते हैं। पोर्टेबल टेपरिकॉर्ड्स हल्की मशीनें है। इसी प्रकार अल्ट्रापोरटेबल टेपरिकॉर्ड्स भी है, जिससे स्पॉट रिकॉर्डिंग भी हो सकती है।
टेपरिकॉर्ड्स में मैग्नेटिक रिकॉर्डिंग का प्रयोग एक विशेष प्रविधि से होता है। रिकॉर्डिंग एक पतले टेप पर होती है और यह चुम्बकीय क्षेत्र से निश्चित गति से गुजरती है। रिकॉर्डिंग हैड से निर्मित चुम्बकीय क्षेत्र पर ध्वनि सिग्नल्स के अनुसार बदलता रहता है। प्लेबैक हैड का भी महत्त्व है। जैसे ही टेप इस पर से गुजरता है, तो हैड की वाइण्डिंग में ईएमएफ से ध्वनि प्राप्त की जाती है। किसी रिकॉर्डिंग को मिटाने के लिए इरेजिंग भी उपलब्ध होता है। कैसेट टेप के दो ट्रेक पर रिकॉर्डिंग की जाती है।
टेपरिकॉर्ड्स में मैग्नेटिक रिकॉर्डिंग का प्रयोग एक विशेष प्रविधि से होता है। रिकॉर्डिंग एक पतले टेप पर होती है और यह चुम्बकीय क्षेत्र से निश्चित गति से गुजरती है। रिकॉर्डिंग हैड से निर्मित चुम्बकीय क्षेत्र पर ध्वनि सिग्नल्स के अनुसार बदलता रहता है। प्लेबैक हैड का भी महत्त्व है। जैसे ही टेप इस पर से गुजरता है, तो हैड की वाइण्डिंग में ईएमएफ से ध्वनि प्राप्त की जाती है। किसी रिकॉर्डिंग को मिटाने के लिए इरेजिंग भी उपलब्ध होता है। कैसेट टेप के दो ट्रेक पर रिकॉर्डिंग की जाती है।
Post a Comment