भारत-पाक संघर्ष 2025: भारतीय वायुसेना को शुरुआती झटका, लेकिन रणनीतिक बदलाव से मिली निर्णायक बढ़त

 

भारत-पाक संघर्ष 2025: भारतीय वायुसेना को शुरुआती झटका, लेकिन रणनीतिक बदलाव से मिली निर्णायक बढ़त


हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच 7 से 10 मई के बीच हुए सैन्य संघर्ष ने उपमहाद्वीप में एक बार फिर से तनाव की लहर दौड़ा दी। इस टकराव के शुरुआती घंटों में भारतीय वायुसेना (IAF) को कुछ नुकसान उठाना पड़ा, जिसकी पुष्टि भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को शांग्री-ला डायलॉग के दौरान की।

क्या कहा भारत के रक्षा प्रमुख ने?

जनरल चौहान ने कहा कि संघर्ष की शुरुआत में भारतीय वायुसेना के कुछ लड़ाकू विमान दुश्मन द्वारा गिरा दिए गए, लेकिन उन्होंने इस बात का खुलासा नहीं किया कि कितने विमान खोए गए और कौन-से प्रकार के थे।

उनके शब्दों में:

“मुद्दा यह नहीं है कि विमान गिरे, बल्कि यह है कि वे क्यों गिरे। हमने उस रणनीतिक गलती को पहचाना, उसे सुधारा और दो दिन बाद अपनी योजना को फिर से लागू कर दुश्मन को करारा जवाब दिया।”

जब जनरल चौहान से पाकिस्तान द्वारा 6 भारतीय जेट्स को गिराने के दावे के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने उस दावे को “बिलकुल गलत” बताया।

एयर मार्शल की प्रतिक्रिया

भारतीय वायुसेना के निदेशक जनरल एयर ऑपरेशंस, एयर मार्शल ए.के. भारती ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में यही विचार साझा किए। उन्होंने कहा:

“हम युद्ध की स्थिति में थे, और उसमें नुकसान होना कोई असामान्य बात नहीं है। असली सवाल यह होना चाहिए — क्या हमने अपने लक्ष्य हासिल किए? और इसका जवाब है — एक ज़ोरदार हाँ।”

उन्होंने आगे कहा कि सभी भारतीय पायलट सुरक्षित वापस लौट आए हैं, लेकिन विशिष्ट आंकड़ों या खोए हुए विमानों के प्लेटफॉर्म की जानकारी देने से इनकार किया।

ऑपरेशन "सिंदूर": भारत की जवाबी रणनीति

इस संघर्ष के दौरान भारत ने "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में 9 आतंकवादी शिविरों और 13 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया।

इस ऑपरेशन में शामिल थे:

  • राफेल जेट्स से लॉन्च किए गए SCALP मिसाइलें

  • सुखोई-30MKI से फायर की गई ब्रह्मोस मिसाइलें

  • ड्रोन, लंबी दूरी की तोपें और अन्य आधुनिक हथियार प्रणाली

निष्कर्ष: नुकसान हुआ, लेकिन संकल्प अडिग रहा

हालांकि भारत ने शुरुआती चरण में कुछ लड़ाकू विमानों का नुकसान झेला, लेकिन तेजी से की गई रणनीतिक समीक्षा और सही समय पर लिए गए फैसलों ने पूरे अभियान की दिशा बदल दी। भारत ने न केवल आतंकवादी ठिकानों को तबाह किया, बल्कि दुश्मन को भी यह दिखा दिया कि उसकी वायुसेना किसी भी चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैयार है।

यह संघर्ष एक महत्वपूर्ण सीख भी है — तकनीकी शक्ति के साथ-साथ रणनीतिक लचीलापन भी निर्णायक भूमिका निभाता है।


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