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Research Design and Sampling Meaning, Definition, Types, Qualities Notes in Hindi

Meaning, Definition, Types, Qualities of Research Design and Sampling in hindi


Research Design and Sampling Meaning, Definition, Types, Qualities Notes in Hindi
Research Design and Sampling Meaning, Definition, Types, Qualities 



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शोध अभिकल्प का अर्थ Meaning of Research Design

शोध के लक्ष्य के आधार पर अध्ययन विषय के विभिन्‍न पक्षों की रूपरेखा को ही सामान्यत: शोध अभिकल्प कहा जाता है। किसी भी सामाजिक शोध को इसलिए प्रतिपादित किया जाता है ताकि किसी-न-किसी उद्देश्य की पूर्ति हो सके। इस उद्देश्य का स्पष्टीकरण एवं विकास शोध के दौरान निश्चित नहीं होता, बल्कि उसे पहले निर्धारित कर लेते हैं। एकॉफ ने लिखा है कि “निर्णय क्रियान्वित करने की स्थिति आने से पूर्व ही निर्णय निर्धारित करने की प्रक्रिया को अभिकल्प कहते हैं।"


शोध अभिकल्प की परिभाषाएँ Definitions of Research Design


करलिंगर के अनुसार, “शोध अभिकल्प अन्वेषण की योजना, संरचना एवं एक रणनीति है, जिसकी रचना इस प्रकार की जाती है कि शोधों में प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो सकें तथा विविधताओं को नियन्त्रित किया जा सके। यह अभिकल्प या योजना, शोध की सम्पूर्ण रूपरेखा या कार्यक्रम है, जिसके अन्तर्गत प्रत्येक वस्तु की रूपरेखा सम्मिलित होती है, जो शोधकर्ता प्रकल्पनाओं के निर्माण तथा उनके परिचालनात्मक अभिप्रायों से लेकर आँकड़ों के अन्तिम विश्लेषण तक करता है।”

एकॉफ के अनुसार, “प्ररचित करना नियोजित कार्य है, अर्थात्‌ अभिकल्प (प्ररचना) उस परिस्थिति के उत्पन्न होने के पूर्व निर्णय लेने की प्रक्रिया है, जिसमें निर्णय को लागू किया जाना है। यह एक सम्भावित स्थिति को नियन्त्रण में लाने की और निर्देशित, जान-बूझकर की गई पूर्वगामी प्रक्रिया है।”

सेलिट्ज , जहोदा , डेवच एवं कुक के अनुसार, “एक शोध अभिकल्प ऑकड़ों के संकलन तथा विश्लेषण के लिए उन दशाओं का प्रबन्ध करती है, जो शोध की संगतता को कार्य-रीतियों में आर्थिक नियन्त्रण के साथ सम्मिलित करने का उद्देश्य रखती है।"


शोध अभिकल्प की विशेषताएं Qualities of Research Design


1. इसका संबंध सामाजिक शोधों से होता है, सामाजिक शोधो के दौरान शोध कार्य करने के लिए सामाजिक शोधों का निर्माण किया जाता है।

2. इसके द्वारा सामाजिक घटनाओं का सरलीकरण किया जाता है अर्थात्‌ शोध अभिकल्प सामाजिक घटनाओं को सरल रूप में प्रस्तुत करता है।

3. शोध अभिकल्प शोध की प्रक्रिया में आगे आने वाली परिस्थितियों को नियन्त्रित करती है एवं शोध कार्य को सरल बनाती है।

4. इसकी रूपरेखा शोध कार्य करने के पहले तैयार कर ली जाती है। इस तरह से यह शोध के कार्यों में पूर्व आधार प्रदान करता है।

5. शोध अभिकल्प शोध की एक रूपरेखा होती है। इसका निर्माण शोध कार्य करने से पूर्व किया जाता है। यह शोधकर्ता को शोध की एक निश्चित दशा का बोध कराती है।

6. इसके द्वारा शोध कार्य में अनेक प्रकारों से अधिकतम उद्देश्यों की प्राप्ति की जाती है।

7. शोध अभिकल्प शोध प्रक्रिया में आने वाली बाधा का समाधान करने में शोधकर्ता की सहायता करती है। इससे शोध के दौरान आने वाली कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं।

8. यह शोध समस्या पर आधारित होती है अर्थात्‌ शोध अभिकल्प का निर्माण शोध की समस्या के आधार पर किया जाता है।

9. यह न केवल मानवीय श्रम की बचत करती है, बल्कि शोध कार्य को सीमित एवं धन पूरा करके मितव्ययिता को दर्शाती है। इससे यह पता चलता है कि यह मानवीय श्रम को कम करके समय एवं लागत को भी कम करती है।


शोध अभिकल्प के प्रकार Types of Research Design


शोध प्रारूप कई प्रकार के होते हैं। प्रकारों से शोध प्रारूप की मूलभूत प्रवृत्ति में कल्पित परिवर्तन हो जाते हैं। इसके प्रमुख प्रकारों में व्यावहारिक शोध, मूलभूत शोध, मूल्यांकनपरक शोध, प्रयोगात्मक शोध और सामाजिक शोध प्रमुख हैं।

व्यावहारिक शोध

यह एक ऐसी शोध विधि है, जिसका उद्देश्य तात्कालिक अथवा दूरगामी महत्त्व की व्यावहारिक समस्याओं का समाधान निकालना रहता है। इस प्रकार के शोध में तथ्यों का संकलन नीति निर्माताओं की आवश्यकता एवं उपयोगिता की दृष्टि से किया जाता है। यह ऐसे वैज्ञानिक सिद्धान्तों की खोज पर बल देती है, जिनके द्वारा व्यावहारिक महत्त्व की समस्याओं का तात्कालिक समाधान ढूंढा जा सके।

मूलभूत शोध

दुनिया के कई हिस्सों में मूलभूत शोध की प्रवृत्ति रही है। इस शोध का बुनियादी उद्देश्य व्यावहारिक शोध का आकार तैयार करना है। किसी त्वरित समस्या के समाधान की अपेक्षा किसी विषय के मूलभूत नियमों अथवा वैज्ञानिक सिद्धान्तों के विकसित किए जाने के उद्देश्य से किए गए अनुसन्धान को मूलभूत शोध कहते हैं।

 मूल्यांकनपरक शोध

किसी विशेष समूह के जीवन सुधार करने के लिए बनाए गए कार्यक्रमों तथा नीतियों की सफलता एवं प्रभावशीलता को आँकने के उद्देश्य से किया गया अनुसन्धान मूल्यांकनात्मक शोध कहलाता है। मूल्यांकनात्मक शोध, क्रियामुखी शोध का ही एक विशेष रूप है, जो किसी कार्यक्रम के द्वारा अपेक्षित या अनपेक्षित परिणामों को जानने के लिए किया जाता है।

प्रयोगात्मक शोध

यह शोध का वह रूप है, जिसमें शोधकर्ता एक अथवा अधिक स्वतन्त्र चरों को परिचालित अथवा नियन्त्रित कर आश्रित परिवर्त्यों (चरों) या परिवर्त्य पर उनके प्रभावों की जाँच करता है, प्रयोगात्मक शोध कहलाता है।

सामाजिक शोध

समाजशास्त्रियों द्वारा सामाजिक सम्बन्ध, सामाजिक समूह, सामाजिक समस्याएँ, सामाजिक अन्तर्क्रियाएँ जैसे विषयों पर किए गए शोध को सामाजिक शोध कहते हैं। सामाजिक शोध का मुख्य उद्देश्य मनुष्यों के सामाजिक जीवन को परिचालित करने वाले मूलभूत सिद्धान्तों की खोज तथा विद्यमान प्राकल्पनाओं एवं ज्ञान का परिष्करण करना है।


निदर्शन का अर्थ एवं परिभाषा Meaning and Definition of Sampling 



जब कभी किसी इकाई, वस्तुओं अथवा मनुष्यों के समूह में किसी चर को विशिष्ट मानकर ज्ञात करने के लिए उसकी कुछ प्रतिनिधि इकाइयों का चयन कर लिया जाता है, तो इस चुनने की क्रिया को निदर्शन कहते हैं तथा चुनी हुई इकाई के समूह को भी निदर्शन कहा जाता है अर्थात्‌ निदर्शन प्रणाली में समस्त समूह का एक भाग प्रतिनिधि के रूप में लिया जाता है तथा उसके अध्ययन से जो निष्कर्ष प्राप्त होते हैं, वह समस्त समूह पर लागू किए जाते हैं।

विभिन्‍न विद्वानों ने निदर्शन को परिभाषित किया है, जो निम्नलिखित है-

बोगार्ड्स के अनुसार, “निदर्शन प्रविधि एक पूर्व निर्धारित योजना के व इकाइयों के एक समूह में से एक निश्चित प्रतिशत का चुनाव है।"

सिन पाओ यंग के अनुसार, “एक सांख्यिकीय निदर्शन सम्पूर्ण समूह का प्रतिनिधि अंश है।”

गुडे एवं हॉट के अनुसार, “एक निदर्शन जैसा कि नाम से स्पष्ट है किसी विशाल सम्पूर्ण का छोटा प्रतिनिधि है।"

पीवी यंग के अनुसार, “एक सांख्यिकीय निदर्शन उस सम्पूर्ण समूह अथवा योग का लघु या प्रतिनिधि अंश है, जिसमे से यह निदर्शन किया जाता है।"


निदर्शन की विशेषताएँ Qualities of Sampling


परिभाषाएँ निदर्शन की कुछ विशेषताएँ प्रकट करती हैं, जिसके आधार पर निदर्शन की निम्न विशेषताएं होती हैं-

1. निदर्शन सम्पूर्ण सामग्री का एक प्रतिनिधि अंश होना चाहिए।

2. निदर्शन पक्षपात एवं मिथ्या झुकाव से स्वतन्त्र होना चाहिए।

3. निदर्शन में अध्ययन विषय अनुकूल होना चाहिए।

4. निदर्शन का स्वरूप समग्र के अनुपात में छोटा होना चाहिए।

5. निदर्शन में परिशुद्धता अधिक मात्रा में होनी चाहिए।

निष्पक्ष एवं यथार्थ निष्कर्ष निकालने के लिए निदर्शनों में निम्नलिखित गुण अथवा विशेषताएँ होनी चाहिए ।

प्रतिनिधित्व 

उचित निष्कर्ष निकालने के लिए निदर्शन इस प्रकार का होना चाहिए, जिसमें समग्र के सभी मौलिक गुण सम्मिलित हों। इसके लिए इकाइयों का चुनाव निष्पक्ष होना चाहिए।

स्वतन्त्रता 

किसी भी इकाई का निदर्शन में सम्मिलित होना, किसी दूसरी इकाई का निदर्शन में सम्मिलित होने या न होने से स्वतन्त्र होना चाहिए।

पर्याप्तता 

नमूना में इकाइयों की संख्या पर्याप्त होनी चाहिए, पर्याप्त संख्या चुनने से ही निदर्शनों के विश्लेषण से ही निष्कर्ष प्राप्त किया जा सकता है।

सजातीयता 

अनुसन्धान के लिए चुने गए निदर्शन सजातीय होने चाहिए।

निष्पक्षता 

निदर्शन को बिना पक्षपात किए चुना जाना चाहिए तथा इसमें शोधकर्ता की व्यक्तिगत धारणाओं का प्रभाव निदर्शनों के चयन पर नहीं पड़ना चाहिए।


निदर्शन का आधार 


अनुसन्धान में निदर्शन का प्रयोग निम्न आधारों पर किया जा सकता हैं

पूर्ण शुद्धता आवश्यक नहीं है 
समग्र का कोई भी भाग उसका पूर्ण रूपेण प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता, लेकिन निदर्शन के आधार पर किए गए अध्ययन के निष्कर्ष समग्र पर लागू किए जा सकते हैं। इस प्रकार सामाजिक अनुसन्धान में पूर्ण शुद्धता जरूरी नहीं है।

एकरूपता
जिस वर्ग एवं समुदाय का अनुसन्धान हो रहा हो, उससे सम्बन्धित तथ्थ्यों में प्राय: एकरूपता पाई जानी चाहिए। इसका मुख्य आधार समग्र इकाइयों में उपस्थिति एकरूपता है, जैसे अगर हम किसी मिल के श्रमिकों का सामाजिक अध्ययन कर रहे हैं, तो उनमें से उन व्यक्तियों का चुनाव करना होगा, जिनमें एकरूपता की प्रकृति हो।

समग्र में से कुछ का चयन यथार्थता पर 
यह इस बात पर आधारित है कि अनुसन्धान के क्षेत्र में जिस इकाई को चुना है, वे इस तरह की हों कि समग्र प्रतिनिधित्व कर सकें। इसलिए इसमें जो चयन किया जाता है, उसे यथार्थता को दृष्टि में रखते हुए किया जाए।


निदर्शन प्रणाली के लाभ

निदर्शन प्रणाली के निम्नलिखित लाभ हैं

शुद्ध निष्कर्षों की प्राप्ति 
इसके द्वारा जो भी निष्कर्ष प्राप्त होते हैं, वे विश्वसनीय होते हैं, क्योंकि निदर्शन प्रणाली में अनुसन्धानकर्ता का ध्यान कुछ निश्चित इकाइयों पर केन्द्रित होता है।

सूचनाओं की प्राप्ति में सुविधा
इस प्रणाली में एक सीमित भाग से ही सूचना प्राप्त करना होता है, अत: विस्तृत भागों से सूचना संकलित करने की अपेक्षा उसके सीमित भाग से सूचना प्राप्त करना अधिक सुविधापूर्ण रहता है।

प्रशासनिक सुविधा
निदर्शन पद्धति की संख्या कम होती है। इस कारण से अनुसन्धान संगठन भी सरल होता है, इसमें कार्यकर्ता की नियुक्ति, सूचनादाताओं से सम्पर्क तथा सारे सर्वेक्षण की प्रशासनिक व्यवस्था में सुविधा होती है।

खर्च की बचत
निदर्शन प्रणाली से अध्ययन में बहुत कम खर्च होता है, क्योंकि इसमे चुनी हुई इकाइयों का ही अध्ययन होता है।

समय की बचत 
निदर्शन में समग्र अध्ययन नहीं होता, इसमें केवल प्रतिनिधि इकाइयों का अध्ययन किया जाता है, इसलिए समय की बचत होती है।

अधिक गहन अध्ययन 
इकाइयों की संख्या अपेक्षाकृत कम होती है, इसलिए इसमें अधिक समय तक अधिक गहन अध्ययन हो सकता है। सामाजिक अनुसन्धान में अधिक गहन अध्ययन की जरूरत पड़ती है।

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निदर्शन प्रणाली की सीमाएँ अथवा दोष


निदर्शन प्रणाली के प्रमुख रूप ये निम्नलिखित दोष हैं

1. निदर्शन पालन की कठिनाई 
प्राय: यह देखा जाता है कि इस प्रणाली में कम कठिनाई के आधार पर निष्कर्ष निकालने पर अनुसन्धानकर्ता को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। कुछ लोग निदर्शन में ऐसे भी आ सकते हैं, जो मदद करने से इनकार कर दें, अन्य दूसरे से संपर्क स्थापित न हो सके तो ऐसी स्थिति में मूल निदर्शन पर कायम रहना मुश्किल हो जाता है।

2. परिवर्तनशीलता
निदर्शन में यदि चुनी हुई इकाई परिवर्तनशील प्रकृति की है या अनेक इकाइयों में एकरूपता नहीं है तो यह प्रणाली अधिक उपयोगी सिद्ध नहीं हो सकती है क्योंकि इससे इस तरह सही निष्कर्ष नहीं निकल सकता।

3. निदर्शन प्रणाली की असम्भावना 
निदर्शन प्रणाली का प्रयोग कुछ परिस्थितियों में असम्भव हो जाता है, जैसे- यदि जनसंख्या का आकार बहुत छोटा है तो उसकी प्रत्येक इकाई महत्त्वपूर्ण हो सकती है। इस प्रकार की स्थितियों में इकाइयों का चयन करना असम्भव जाता है।

4. पक्षपात की संभावना
इसका सबसे बड़ा दोष यह हैं कि निदर्शन का चुनाव पक्षपाती होता है, यदि निदर्शन प्रतिनिधि है तो उससे जो निष्कर्ष प्राप्त होगा, वह भ्रमपूर्ण होगा।

5. विशेष ज्ञान की आवश्यकता 
निदर्शन पद्धति का उपयोग सभी व्यक्ति नही कर सकते, अतः इसके लिए विशिष्ट ज्ञान की जरूरत पड़ती है।

6. प्रतिनिधि निदर्शन के चुनाव की कठिनाई
सामाजिक अनुसंधान में व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व निदर्शन के लिए चुनाव करना बहुत ही कठिन है, क्योंकि भिन्न भिन्न व्यक्तियों में बहुत अधिक विषमतायें पाई जाती है। अतः निदर्शन का चयन करना कठिन काम है।

 
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