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Meaning, Definition, elements of News समाचार का अर्थ, परिभाषा व तत्व

Meaning, Definition, elements of News समाचार का अर्थ, परिभाषा व तत्व

Meaning, Definition, elements of News समाचार का अर्थ, परिभाषा व तत्व
Meaning, Definition, elements of News 



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न्यूज़ का अर्थ Meaning of News

एक सामाजिक प्राणी होने के नाते मनुष्य सदैव से ही जिज्ञासु प्राणी रहा है अतः वह अपने आस-पास की सभी जानकारियों, घटनाओं को जानना चाहता है। चारों दिशाओं की जानकारी ही समाचार है। हिन्दी भाषा के समाचार शब्द को अंग्रेजी भाषा में न्यूज (News) कहा जाता है। समाचारों के माध्यम से ही समाचार-पत्र का स्वरूप बनता है।
यह NEWS शब्द अंग्रेजी के चार अक्षरों से मिलकर बना है, जो चारों दिशाओं उत्तर (North), पूरब (East) पश्चिम (West) तथा दक्षिण (South) के द्योतक हैं। व्युत्पत्ति के आधार पर अंग्रेजी के न्यूज, लैटिन के नोवा और संस्कृत के “नव' शब्द का ही अर्थ है - नवीन या नूतन।

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समाचार की परिभाषा Definition of News

अम्बिका प्रसाद वाजपेयी के अनुसार, “हर घटना समाचार नहीं है, सिर्फ वही घटना समाचार बन सकती है, जिसका कमोवेश हित हो। अस्पताल में लोग भर्ती होते रहते हैं, अच्छे होते हैं और कुछ मरते भी हैं, लेकिन यह समाचार नहीं है। लेकिन यदि कोई मरीज इसलिए मर जाए कि अस्पताल पहुँचने पर कोई उसे देखने वाला नहीं था या डॉक्टर की गैर-हाजिरी में कम्पाउण्डर ने उसका गलत इलाज कर दिया या नर्स ने एक मरीज की दवा दूसरे को दे दी या ऑपरेशन करते समय कोई औजार पेट में ही रह गया और पेट सिल दिया गया तो ये सभी समाचार हो सकते हैं।''

रामचन्द्र वर्मा के अनुसार, “समाचार का अर्थ, आगे बढ़ना, चलना, अच्छा आचरण या व्यवहार है। मध्य और परवर्ती काल में किसी कार्य या व्यवहार की सूचना को समाचार मानते थे, ऐसी ताजी या हाल की घटना की सूचना जिसके सम्बन्ध में पहले लोगों को जानकारी न हो।''

विलियम एम. माल्सबाई के अनुसार, “किसी समय में होने वाली उन महत्त्वपूर्ण घटनाओं के सही और पक्षपातरहित विवरण को जिसमें उस पत्र के पाठकों की अभिरुचि हो, उसे समाचार कहते हैं।''

जॉर्ज एच मौरिश के अनुसार, “समाचार जल्दी में लिखा गया इतिहास है।''

जेजे सिण्डलर के अनुसार, “पर्याप्त संख्या में मनुष्य जिससे जानना चाहे वह समाचार है। शर्त यह है कि सुरुचि तथा प्रतिष्ठा के नियमों का उल्लंघन न करे।"

एम लाइल स्पेन्सर के अनुसार, “वह सत्य घटना या विचार जिसमें बहुसंख्यक पाठकों की अभिरुचि है।”

प्रो चिल्टन बुश के अनुसार, “समाचार, सामान्यत: वह उत्तेजक सूचना है, जिससे कोई व्यक्ति सन्तोष अथवा उत्तेजना प्राप्त करता है।”

वूल्जले और कैम्पबेल के अनुसार, “समाचार सामान्यत: वह उत्तेजक सूचना है जिससे कोई व्यक्ति सन्तोष या उत्तेजना प्राप्त करता है।”

रामचन्द्र वर्मा के अनुसार, “समाचार का अर्थ आगे बढ़ना, चलना, अच्छा आचरण या व्यवहार है।"

हार्पर लीच और जान सी कैरोल के अनुसार, “समाचार अति गतिशील साहित्य है। समाचार-पत्र समय के करघे पर इतिहास के बहुरंगे बेलबूटेदार कपड़े को बुनने वाले तकुए हैं।”

मैन्सफील्ड के अनुसार , “घटना समाचार नहीं है, बल्कि वह घटना का विवरण है, जिसे उनके लिए लिखा जाता है जिन्होंने उसे देखा नहीं है।”

केपी नारायणन के अनुसार, “समाचार किसी सामयिक घटना का, महत्त्वपूर्ण तथ्यों का परिशुद्ध तथा निष्पक्ष विवरण होता है, जिससे उस समाचार-पत्र में पाठकों की रुचि होती है, जो इस विवरण को प्रकाशित करता है।”

श्री रा. र. खाडिलकर के अनुसार, “दुनिया में कहीं भी किसी समय छोटी-मोटी घटना या परिवर्तन हो, उसका शब्दों में जो वर्णन होगा उसे समाचार या खबर कहते हैं।”

विलियम जी ब्लेयर के अनुसार, “अनेक व्यक्तियों की अभिरुचि सामयिक बात में हो वह समाचार है।”

टर्नर कॉलेज के अनुसार, “वह सभी कुछ जिससे आप कल समाचार है।”

समाचार के तत्व Elements of News

तत्त्व एक ऐसा शब्द है जिसके आधार पर समाचार का मूल्यांकन किया जाता है। जितने अधिक तत्त्व होंगे, समाचार उतना ही अधिक रोचक व पठनीय होगा। किसी भी सूचना को समाचार का रूप देने से पूर्व उसे निम्नलिखित तत्वों की कसौटी पर अवश्य कस लेना चाहिए, जो इस प्रकार हैं -

सत्यता

किसी घटना का सत्य, परिशुद्ध एवं सन्तुलित विवरण समाचार को मूल्यवान बनाता है। वस्तुत: सत्य को ठेस पहुंचाना समाचार की आत्मा को नष्ट करना है।
काल की तीव्रगति को पकड़ने की चेष्टा घटना और समाचार की तात्कालिकता की संगति होनी चाहिए। घटना ज्यों ही घटे, तुरन्त पत्रकार को सूचना एकत्र कर लेनी चाहिए। जल्द से जल्द या सबसे पहले छापने का प्रयास करना चाहिए। यदि समाचार पुराना हो गया तो उसका कोई विशेष महत्त्व नहीं रह जाता।
  

मानवता की सार्थकता


समाचार की दिशा रचनात्मक होनी चाहिए। किसी एक घटना को पत्रकार चाहे तो सही या गलत दिशा दे सकता है। सामान्य जनता समाचार को पढ़ते समय उसकी नियति भी जानने का प्रयास करती है। लेकिन अच्छे पत्रकार किसी समाचार को देते समय केवल संकेत दे सकते हैं, दृष्टिकोण नहीं स्पष्ट करते हैं।

स्वातंत्रय की लालसा

स्वतन्त्रता से तात्पर्य, पत्रकार की स्वतन्त्रता तथा जनता की स्वतंत्रता से है। पत्रकार को किसी तन्त्र से परिचालित नहीं होना चाहिए। उसे निष्पक्षता के साथ सूचना प्रदान करनी चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो उसके प्रति अविश्वास होम स्वाभाविक है। जनता की स्वतन्त्रता से तात्पर्य है- पत्र को जनता की
स्वतन्त्रता का प्रहरी होना चाहिए। किसी समाज में परिवर्तन आज पत्र ही कराते हैं।

नवीनता

यह  समाचार का प्रमुख तत्त्व है। दैनिक पत्रों में 24 घण्टे एवं साप्ताहिक पत्रों में एक सप्ताह के बाद समाचार छापने पर समाचार तत्व नहीं रह जाता। ताजा समाचार ही पाठकों को आकर्षित करता है, विलम्ब होने पर वह निस्तेज और निरर्थक हो जाता है।

सामीप्य


निकटस्थ घटित घटना दूरस्थ की बड़ी दुर्घटना से अधिक महत्त्वपूर्ण होती है।

सुरुचिपूर्णता

पाठकों की रुचि को प्रभावित करने वाले समाचार अधिक पठनीय होते हैं।

वैयक्तिकता

उच्च पदस्थ व्यक्तियों का भाषण समाचार बन जाता हैं। सामान्य नागरिक की अप्रत्याशित उपलब्धि जैसे- भिखारी की एक लाख की लाटरी यह भी समाचार है।

संख्या और आकार

अधिक संख्या में मृत और घायल यात्रियों से सम्बद्ध भयंकर रेल दुर्घटना महत्वपूर्ण होगी, जबकि मामूली चोट वाली घटना समाचार की दृष्टि में गौण होगी।


समाचार के 5 W और 1 H

प्रसिद्ध पाश्चात्य पत्रकार रुडयार्ड किपलिंग ने समाचार-पत्र के छपने योग्य समाचार में छः तत्त्वों का समावेश अनिवार्य माना है, जिसे उन्होंने अंग्रेजी में 5W और 1H कहा।

क्या (What) क्या हुआ? जिसके सम्बन्ध में समाचार लिखा जा रहा है।

कहाँ (Where) समाचार कहाँ का है या उसमें दी गई घटना बात, सूचना का सम्बन्ध किस स्थान, नगर, गाँव प्रदेश या देश से है।

कब (When) समाचार किस समय, किस दिन, किस अवसर का हैं।

कौन (Who) समाचार के विषय (घटना, वृत्तान्त, विचार, सूचनात्मक, तथ्य आदि) से कौन सम्बन्धित है या कौन लोग सम्बन्धित हैं।

क्यों (Why) समाचार के विषय की पृष्ठभूमि, परिस्थितियाँ आदि।

कैसे (How) समाचार का पूरा विवरण।

ये छः आकार ही किसी समाचार के प्राण तत्त्व हैं। वास्तविक समाचार वही है जिसमे इन छः प्रश्नों का समाधान निहित हो।

सम्पादक के कर्त्तव्य

सम्पादक बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति होता है। इसे कलमकारों की टीम का सेनापति भी कहा जाता है। सम्पादक का पद प्रिण्ट मीडिया के अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी होता है।
नियन्त्रण, निर्देशन, निरीक्षण एवं परीक्षण करना इसका मुख्य कार्य है। निष्पक्षता इसका पहला गुण है फिर भी सम्पादक के कर्त्तव्य एवं दायित्वों का सिलसिलेवार अध्ययन निम्न प्रकार किया जा सकता है -

निर्देशन

1. नियुक्ति एवं स्थानान्तरण
2. अनुशासनात्मक
3. समाचार, फीचर, फोटो एवं लेखों की व्यवस्था
4., आकस्मिक ड्यूटी लगाना किक
5. कानूनी उलझनों से अपने कर्मियों को बचाने हेतु
6. विज्ञापन से सम्बन्धित आदेश देना
7. सुन्दर प्रस्तुतीकरण के सम्बन्धित आदेश

निरीक्षण

1. विभाग के पत्रकारों की कार्य-क्षमता का निरीक्षण एवं मूल्यांकन करना।

2. पत्र की नीतिनुसार समाचार, लेख इत्यादि के लिए स्थान का अवलोकन करना।

3. पत्र की नीतिनुसार समाचार की भाषा का अवलोकन करना।

4. समाचार की स्पष्टता, सार्थकता, सारगर्भिता पर ध्यान देना।

5. यथासमय पर पृष्ठ कार्य एवं प्रकाशन का अवलोकन करना।

6. पत्र के प्रसार सम्बन्धी योजना का अवलोकन करना।

एक सम्पादक के ऊपर सारी जिम्मेदारियाँ होती है। उसे अपनी जिम्मेदारियों का कुशलता से पालन करना चाहिए। इस हेतु उसके आदर्शों को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।

परीक्षण

1. समाचार-पत्र एवं पत्रिका का परीक्षण करके त्रुटियों एवं भ्रांतियों को दूर करना।

2. समाचार-पत्र एवं पत्रिका का अवलोकन करके बेहतरी के लिए अपने सहकर्मियों को परामर्श देना।

3. फीचर, लेख एवं साक्षात्कार का अवलोकन करके मत देना।

4. तुलनात्मक दृष्टि का प्रयोग करना।

5. पाठकों को रुचि का अवलोकन करके लेखक, विषय-विशेषज्ञों, नेताओं की सूची बनाना।

नियन्त्रण

1. सहकर्मियों पर नियन्त्रण
2. घटनाओं पर नियन्त्रण
3. भाषा पर नियन्त्रण
4. चित्रों पर नियन्त्रण
5. समाचारों पर नियन्त्रण
6. प्रिण्टिंग पर नियन्त्रण
7. विज्ञापनों पर नियन्त्रण

रचनात्मकता

1. राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दे की गहनता करके प्रकल्प एवं विकल्प को तलाश करना।

2. समाचार की प्रस्तुति एवं स्वरूप निर्माण कार्य को अंजाम देना।

3. पृष्ठ-सज्जा, चित्र, ग्राफिक्स, नक्शे, कार्टून इत्यादि का सन्तुलन के अलावा पत्र-पत्रिका की कलात्मकता भी रचनात्मकता के क्षेत्र में आती है।

4. श्रेष्ठ लेखकों को पत्र एवं पत्रिका से जोड़कर उनकी रचनात्मकता से पाठकों परिचय कराना।

5. आवश्यकता पड़ने पर अपने दृष्टिकोण से पाठकों का परिचय कराना।

6. सम्पादकीय टिप्पणी लिखना।

सम्पादक दूरदृष्टा होता है। प्रखरता एवं दक्षता के अलावा लम्बे अनुभवों के आधार पर ही सम्पादक बनाया जाता है। जैसे इसके कर्तव्यों की चर्चा की गई, ठीक वैसे ही उत्तरदायित्वों की चर्चा करना भी आवश्यक है। सम्पादक राष्ट्र, समाज, सरकार, पाठक, स्वामी के प्रति उत्तरदायी होता है।

Media Fact

केशवचन्द्र राय को भारत में समाचार समितियों का जनक कहा जाता है।

 प्रेस ट्रस्ट ऑफ इण्डिया एशिया की सबसे बड़ी समाचार समिति है।

 दूरदर्शन की शुरूआत 15 सितम्बर, 1959 को दिल्‍ली में हुई थी।

 भारतीय भाषा समाचार-पत्र संघ की स्थापना वर्ष 1941 में हुई थी।

 इण्डियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस की शुरूआत वर्ष 1930 में हुई।

 वर्ष 1936 में इण्डियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस का नाम ऑल इण्डिया रेडियो रख दिया गया।

 वर्ष 1959 में ऑल इण्डिया रेडियो को 'आकाशवाणी' कहा जाने लगा।

 'पीत-पत्रकारिता' की शुरूआत संयुक्त राज्य अमेरिका से हुई थी।

 'प्रेस गिल्ड ऑफ इण्डिया' की स्थापना वर्ष 1954 में हुई थी।

 'भारतीय प्रेस संस्थान' की स्थापना वर्ष 1963 में हुई थी।

 प्रेस परिषद्‌ 4 जुलाई, 1966 को स्थापित हुई थी।

 प्रेस परिषद्‌ की स्थापना प्रथम प्रेस आयोग की संस्तुति पर की गई थी।

 प्रेस परिषद्‌ के सदस्यों की संख्या 28 होती है।

 समाचार-पत्र को चौथी सत्ता बर्क ने कहा है।

 हास्य विधा की पत्रिका चखत्सस लखनऊ से प्रकाशित होती है।

 इण्डिया टुडे का सम्पादकीय कार्यालय दिल्‍ली में है।

 सर्वश्रेष्ठ समाचार वह है, जिसमें बहुसंख्यक की अधिकतम रुचि होती है।

 विश्व में प्रेस परिषद के विचार का उदय सर्वप्रथम स्वीडन में हुआ।

पहली बार वर्ष 1975 मे प्रेस परिषद भंग हुई थी।

 वर्ष 1978 में प्रेस परिषद ने पुनः काम करना शुरू कर दिया था।


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