पत्रकारिता के प्रकार या पत्रकारिता का क्षेत्र नोट्स, अध्ययन सामग्री (Types Of Journalism Notes In Hindi, Study Material)

पत्रकारिता के प्रकार या पत्रकारिता का क्षेत्र नोट्स, अध्ययन सामग्री (Types Of Journalism Notes In Hindi, Study Material)

(Types Of Journalism Notes In Hindi, Study Material)
(Types Of Journalism Notes In Hindi, Study Material)


पत्रकारिता के प्रकार या पत्रकारिता का क्षेत्र नोट्स, अध्ययन सामग्री Types Of Journalism Notes In Hindi, Study Material, scope of journalism, pdf, gk in hindi .



दोस्तो हमारे यूट्यूब चैनल पर mass Communication की फ्री  classes शुरू कर दी गई है।  अगर आप का रेस्पोंस अच्छा रहता है तो सभी टॉपिक की क्लास लगाई जाएगी इसके लिए आप नीचे दिए गए लिंक से चैनल को सब्सक्राइब कर लें।


फिल्मी-पत्रकारिता

प्राय: अधिकांश पत्र-पत्रिकाओं में समय-समय पर फिल्‍मी सामग्री प्रकाशित होती है। फिर भी फिल्‍मी-पत्रकारिता स्वतन्त्र हो गई है। फिल्‍मी- पत्रकारिता की शुरूआत दिल्‍ली में हुई। यद्यपि मुम्बई और अन्य क्षेत्रों से भी फिल्‍मी, पत्रिकाएँ निकलती है।
परन्तु इनका प्रधान केन्द्र अब भी दिल्‍ली ही है। शुरू में फिल्में बिना आवाज की हुआ करती थी। जब वर्ष 1931 में आवाज वाली फिल्म “आलम, आरा' बनी तो लोगों में भारी उत्सुकता जगी। पात्र बोलने लगे थे,संगीत बजने लगा था। इस प्रकार फ़िल्म जगत को पत्रकारिता में जगह मिलने लगी।
अगले ही वर्ष, वर्ष 1952 में फिल्‍मी-पत्रिका 'रंगभूमि' का प्रकाशन दिल्‍ली से शुरू हो गया। शुरू में यह साप्ताहिक थी और इसके सम्पादक लेखराम थे।
डॉ. रामचन्द्र तिवारी 'नवचित्रपट' को हिन्दी में पहली फिल्‍मी-पत्रिका मानते हुए लिखते हैं- “फिल्मों सम्बन्धी हिन्दी की पहली पत्रिका होने का गौरव “नवचित्रपट' को प्राप्त है, जो वर्ष 1932 में दिल्‍ली से निकली थी।” (स्वाधीनता के बाद हिन्दी-पत्रिकाओं का विकास) जबकि राजकुमार जैन 'मंच' को पहली हिन्दी फिल्‍मी पत्रिका मानते हैं, जो वर्ष 1931 में इन्दौर से प्रकाशित हुई बताते हैं। (लेख “मध्यभारत की हिन्दी-पत्रकारिता )। 
वर्ष 1936 में प्रसिद्ध लेखक ऋषभचरण जैन ने फिल्‍मी साप्ताहिक “चित्रपट' शुरू किया। जैन साहब अनेक प्रमुख साहित्यकारों के सम्पर्क में थे। अत: उन्हें अनेक प्रमुख लेखकों से सहयोग मिल गया। इसमें धारावाहिक, उपन्यास भी छपने लगे।
चित्रपट' ने 'रंगभूमि” को पछाड़ दिया। फिर धर्मपाल गुप्ता ने बाद में 'रंगभूमि' को मासिक पत्रिका के रूप में प्रकाशित किया। फिर रसभरी, चित्रप्रकाश, कौमुदी (दिल्‍ली), अभिनय (कोलकाता), रूपम (लाहौर से) निकलने लगी।

विज्ञान-पत्रकारिता

पत्र-पत्रिकाओं में विज्ञान विषयक सामग्री हमेशा ही प्रकाशित होती रही है। कुछ ने विज्ञान' स्तम्भ चला रखे हैं। फिर भी विज्ञान सम्बन्धी पत्रों की आवश्यकता को समझकर कुछ विज्ञान-पत्रों का भी प्रकाशन हुआ है। विज्ञान-परिषद्‌ ने इलाहाबाद से 'विज्ञान' नामक पत्र का प्रकाशन शुरू किया, जो सात दशक से भी अधिक समय से निकल रहा है। आगरा से शंकर मेहता द्वारा मासिक 'विज्ञानलोक' (आरडी विद्यार्थी) का प्रकाशन किया गया। विज्ञान जगत' (आरडी विद्यार्थी) नामक मासिक पत्रिका इलाहाबाद में वर्ष 1962 में
निकली। इसके एक दशक पूर्व “विज्ञान प्रगति” (रामचन्द्र तिवारी) प्रकाशित हुई। बाद मेंइसके सम्पादक श्याम सुन्दर शर्मा बने। इसके अनेक उल्लेखनीय विशेषांक भी निकले हैं। अन्य पत्र भी निकले, जिनमें प्रमुख है -त्रैमासिक वैज्ञानिक (1969, मुम्बई), लोक-विज्ञान (1960) कुन्दनलाल कोठारी, (उदयपुर) , वैज्ञानिक बालक (जयपुर, सूरज प्रकाश पापा), आविष्कार (बदीउददीन खाँ, देवेन्द्र भटनागर ) , विज्ञान डाइजेस्ट (नैनीताल, अक्टूबर, 1975 से), विज्ञान भारती, विज्ञान कला, विज्ञान-कीर्ति, विज्ञान-ज्योति, विज्ञान-दूत, विज्ञान वैचारिकी आदि। तरुण जैन (जयपुर ) भी एक विज्ञान पत्रिका निकालते हैं। कुल मिलाकर विज्ञान-पत्रो की कमी ही है। इस क्षेत्र में अधिक कार्य की आवश्यकता है। भारतीय कृषि-पत्रकार संघ भी कार्यरत है।

हास्य-व्यंग्य पत्रकारिता

विभिन्‍न पत्रों में हास्य-व्यंग्य की रचनाओं के प्रचुर प्रकाशन के बावजूद हास्य-व्यंग्य सम्बन्धी पत्रों का खूब प्रकाशन हुआ है। भारतेन्दु युग में हास्य-व्यंग्य का कोई स्वतन्त्र पत्र नहीं निकला। मासिक 'रसिक पंच' लखनऊ से निकला था। द्विवेदी युग में कलकत्ता से हास्य-व्यंग्य का उल्लेखनीय पत्र “मतवाला' 23 अगस्त, 1923 को महादेव प्रसाद सेठ ने निकाला। इसके सम्पादक नवजादिकलाल श्रीवास्तव, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला, शिवपूजन सहाय जैसे वरिष्ठ साहित्यकार थे। हास्य-व्यंग्य का यह आरम्भिक और उच्च स्तरीय पत्र था।
यह इस पत्र के सम्पादकीय के ऊपर प्रकाशित होता था। इस पत्र के मतवालेपन को “मौजी' (कलकत्ता) की मौज ने ललकारा। दोनों में साहित्यिक नोंक-झोंक होती थी। “मतवाला' के दस हजार ग्राहक बने। इन्दुजी ने आजादी से पहले दिल्‍ली से “मनोरंजक' (चिरंजीत) निकाला था। “नॉोंक-झोंक' (1987, आगरा, केदारनाथ भट्ट) ढाई दशक तक निकला।

महिला-पत्रकारिता

प्राय: सभी पत्रों में महिलाओं से सम्बद्ध सामग्री होती है। उनमें महिला जगत, नारी संसार आधी दुनिया जैसे स्तम्भ होते हैं, फिर भी महिलाओं से सम्बद्ध कुछ स्वतन्त्र पत्रिकाएँ निकलती है। इनकी संख्या काफी कम है। महिलाओं से सम्बंधित निकलने वाली पत्रिकाओं में दिल्ली की अंगज, अम्बिका, गृहशोभा, मानुषी, वनिता, फेमिना, धरती, इन्दौर से ऊषा, बस्बई से मेरी सहेली (हेमा मालिनी) , वाराणसी  से आर्य महिला, इलाहाबाद से मनोरमा, जागृत महिला (1961, नागपुर, सत्यबाला तायल,) आदि प्रमुख हैं। “मनोरमा' विशाल प्रसार-संख्या वाली सम्पूर्ण पत्रिका है। उज्जैन से महिलाओं से सम्बन्धित साप्ताहिक अखबार 'बाइस” (सरिता भूतड़ा) निकलता है। दिल्‍ली की 'मुक्ता' भी नारी जगत से जुड़ी पत्रिका है। 'आर्य महिला' का प्रकाशन वर्ष 1918 में काशी से नारायणी देवी-काली प्रसाद शास्त्री के संपादन में हुआ था।

ग्रामीण-पत्रकारिता
ग्रामीण अंचलों को लेकर ग्रामीण-पत्रकारिता का भी काफी विकास हुआ है। अब गांव उपेक्षित नहीं रह गए हैं, यद्यपि इस क्षेत्र में अब भी काफी सम्भावनाएँ हैं। वैसे तो गाँवों के समाचार आदि सभी अखबारों में छपते हैं। कृषि सम्बन्धी पत्रों की चर्चा अलग से की गई है। कुछ उल्लेखनीय पत्र है-
कुरुक्षेत्र, सेवाग्राम, गाँव, आम-भूमि, साक्षी, ग्रामीण दुनिया (एमएम गुप्त, रति अग्रवाल) , ग्रामीण जनता (रुड़की, नरेन्द्र गोयल), स्वराज्य सन्देश, ग्राम-संसार, चौपाल, गाँव की बात आदि। ग्रामीण पत्रकार संघ, ग्रामीण समाचार पत्र संघ आदि गठित हो चुके हैं, जो ग्रामीण-पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में सक्रिय है।

वाणिज्य-पत्रकारिता
वाणिज्य-पत्रकारिता की शुरूआत अंग्रेजी पत्रों से हुई। कैपिटल (1886, कलकत्ता), कॉमर्स (1910, बम्बई), इण्डियन फाइनेन्स (कलकत्ता, 1928), ईस्टर्न इकोनॉमिस्ट साप्ताहिक, इकोनामिक टाइम्स, फाइनेन्शियल एक्सप्रेस आदि का प्रकाशन हुआ। अनेक व्यापारिक, वाणिज्यिक संगठन अपने पत्र निकालते हैं। कुछ लोगों ने निजी स्तर पर भी पत्रों का प्रकाशन किया है। छमाही, बाद में मासिक व्यापार की काफी प्रसिद्धि रही है।
कुछ अन्य प्रमुख पत्रों के नाम हैं--
दैनिक अकोला बाजार समाचार, श्री सुभाष दैनिक व्यापार पत्रिका (अकोला), टेक्सटाइल न्यूज़ (बम्बई), आर्थिक जगत(कलकत्ता), धन्धाबड़ी(जयपुर), दैनिक व्यापार भारती(दिल्ली), उद्योग भारती(कलकत्ता), उद्यम (1918, नागपुर), उद्योग व्यापार पत्रिका(भारत सरकार), उद्योग विकास(कानपुर, 1955), आर्थिक चेतना (1968, दिल्‍ली, एलएल आच्छा) आदि पत्रों का प्रकाशन हुआ। 

खेल-पत्रकारिता

प्राय: सभी अखबारों में खेल सम्बन्धी समाचार और अन्य सामग्री का प्रकाशन होता है। उनमें अनेक लेखक लेख, समीक्षा (खेल सम्बन्धी) लिखते रहे हैं, फिर भी समानान्तर रूप में खेल-पत्रकारिता स्वतंत्र रूप से चलती रही है। इस क्षेत्र की भाषा सरल होती है और इसमे विदेशी शब्दों का प्रयोग निःसंकोच किया जाता है। कुछ सामान्य पत्र भी खेल-रिपोर्टर, खेल-सम्पादक रखते हैं। खेल सम्बन्धी पत्र-पत्रिकाओं की संख्या अल्प है।
खेल-जगत में 'खेल-खिलाड़ी' एक उल्लेखनीय मासिक पत्रिका है, जिसके सम्पादक मनोहर सिन्हा है। नवम्बर, 1971 में खालिद अंसारी द्वारा मुम्बई से “हिन्दी स्पोर्ट्स वीक' प्रकाशित की गई, जो शीघ्र ही बन्द हो गई। फरवरी, 1972 में इन्दौर से मासिक “खेलयुग' (सुशील कुमार दोषी ) का प्रकाशन हुआ। इसका पहला अंक क्रिकेट-विशेषांक के रूप में निकला।
इन्दौर से “भारतीय कुश्ती (रतन पाटोदी) मल्ल कला की अच्छी पत्रिका है। आगरा से मासिक “खेल समाचार' (राजीव सक्सेना) का प्रकाशन कुछ समय तक हुआ। इसके अलावा जो पत्र निकले हैं, उनमें खेल भारती, क्रिकेट सम्राट, खेल सम्राट आदि प्रमुख हैं। खेल सम्बन्धी पत्रों की अभी नितान्त आवश्यकता है। खेलों का जितना अधिक प्रचार-प्रसार है, उस दृष्टि से खेल-पत्रों की काफी कमी है।

सामाजिक-पत्रकारिता

समाज की उन्नति, सुधार आदि उद्देश्यों को लेकर जो पत्रकारिता की जाती है, वह “सामाजिक
पत्रकारिता' कहलाती है। यह दो प्रकार की होती है-
1. सम्पूर्ण समाज के लिए, 2. समाज विशेष के लिए। 

सम्पूर्ण समाज के लिए “समाज कल्याण' और अन्य पत्रों का प्रकाशन सरकार, अर्द्ध-सरकारी संगठनों, संस्थाओं और व्यक्तियों द्वारा किया जाता है। इन पत्रों में सम्पूर्ण समाज को एक इकाई मानकर उसके हित की सामग्री प्रकाशित की
जाती है।
समाज-विशेष के सुधार और प्रगति के लिए भी अनेक व्यक्ति, संस्थाओं, समाज-विशेष, बिरादरियों या जातियों द्वारा पत्रों का प्रकाशन किया जाता है। ये पत्र अन्य बिरादरियों से मेलजोल, सौहार्द बढ़ाने का कार्य भी करते हैं।

बाल-पत्रकारिता

बाल-पत्रकारिता के अन्तर्गत सबसे पहले 1882 ई. में भारतेन्दु युग में बाल-पत्रिका ,बाल-दर्पण' के प्रकाशन से बाल-पत्रकारिता की शुरूआत हुई। वर्ष 1902 में आर्य बाल हितैषी' जनवरी 1917 में बालसखा' (इलाहाबाद) का प्रकाशन हुआ। 'बालसखा चर्चित पत्रिका रही। इसके सम्पादक बद्रीनाथ भट्ट, पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, देवीदयाल चतुर्वेदी मस्त, लल्ली प्रसाद पाण्डेय, सोहनलाल द्विवेदी जैसे वरिष्ठ पत्रकार रहे। इसमें बाल-साहित्य और बालोपयोगी समाचार रहते थे। यह पाँच दशक से भी अधिक समय तक चला। फिर वर्ष 1926 में रामलोचन शरण ने 'बालक' निकाला जिसका सम्पादन सीताशरण ने भी किया। डॉ. रामधारी सिंह दिनकर जैसे साहित्यकार की भी रचनाएँ छपती थी।

साहित्यिक-पत्रकारिता

अधिकांश पत्रों में साहित्यिक पत्रकारिता भरी पड़ी है। समाचार और साहित्य किसी भी पत्र के मुख्य अंग होते हैं। फिर भी कुछ पत्र और पत्रिकाएँ केवल साहित्य को लेकर ही निकले हैं। हिन्दी में सामान्य पत्रकारिता के अन्तर्गत साहित्य के होते हुए भी विशुद्ध साहित्यिक पत्रकारिता भी समानान्तर में चलती रही। हरिश्चन्द्र चन्द्रिका ( भारतेन्दु ) , सरस्वती, समालोचक (जवाहरलाल जैन वैद्य), हंस (प्रेमचन्द ) , त्यागभूमि (हरिभाऊ उपाध्याय)। धर्मयुग, साप्ताहिक हिन्दुस्तान, सारिका, नवनीत, हंस (राजेन्द्र यादव), कादम्बिनी, ज्ञानोदय, कल्पना, अजन्ता, साहित्य अमृत, नया. ज्ञानोदय, नया प्रतीक, बिन्दु, वातायन, लहर, वीणा, वाणी, इंगित,
त्रैमासिक, “चक्रवाक' (डॉ. विन्देश्वर पाठक, निशांतकेतु) , साहित्य सन्देश, संधान, अवध पुष्पांजलि (प्रताप नारायण वर्मा ), भारतीय वाडइमय, वाड्मय (डॉ. फिरोज) आदि के अलावा बड़ी संख्या में साहित्यिक पत्रिकाएँ निकलती है।
गोपालराम गहमरी ने उपन्यास-मासिक निकाला था। 'कहानी” विधा पर 'नई कहानी” (श्रीपतराय), मनोहर कहानियाँ, नूतन कहानियाँ, कथा-कहानी, कथालोक, कहानी, कथाबिम्ब, अन्तर्राष्ट्रीय कहानियाँ, निहारिका, कहानीकार, गल्पभारती, माया आदि है।

स्मरणीय तथ्य

भारत में पहला छापाखाना गोवा में 1557 ई. में शुरू हुआ।
भारत में पत्रकारिता की शुरूआत वोल्टास से मानी जाती है।
वोल्टास की पुस्तक का नाम कन्सीडरेशन ऑन इण्डियन अफेयर्स था।
भारत के मद्रास से निकलने वाला पहला साप्ताहिक अखबार मद्रास कोरियर था।
हिन्दुस्तान के सम्पादक मदन मोहन मालवीय थे।
'जरा सोचो तो यारों ये बम क्या है' हिन्दी पत्र प्रदीप में अंकित था।
समाचार पत्रों का इतिहास के लेखक-अम्बिका प्रसाद वाजपेयी थे।
उत्तर प्रदेश से प्रकाशित पहला हिन्दी पत्र बनारस अखबार था।
साहस का प्रकाशन झाँसी से होता था।
भविष्य का प्रकाशन इलाहाबाद से होता था।
खेल समाचार एक मासिक पत्र था।
महिलाओं की पत्रिका बाइस की सम्पादक का एक नाम सरिता भूतड़ा था।
विज्ञान पत्रिका विज्ञान जगत का प्रकाशन आरडी विद्यार्थी ने किया था।
विज्ञान प्रगति का प्रकाशन रामचन्द्र तिवारी ने किया था।
मतवाला एक हास्य-व्यंग्य पत्रिका थी।
बाल पत्रिका 'बालक' का प्रकाशन रामलोचन शरण ने किया था।
'चन्दा मामा' के सम्पादक डॉ. बालशौरि रेड्डी थे।
'नवचित्रपट' फिल्‍मों से सम्बन्धित पहली पत्रिका थी।
दैनिक पत्र लोकमान्य नागपुर से प्रकाशित होता था।



हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार के समाचार पत्रों की सूची- अभी पढें

Journalism and mass communication के मॉडल्स - अभी पढें

Mass Communication की परिभाषा, अर्थ, महत्व व माध्यम- अभी पढें

Journalism का अर्थ, परिभाषा, क्षेत्र- अभी पढें

Comments

Popular posts from this blog

Research Meaning, Definition, Objectives शोध अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य एवं महत्व mass communcation notes

समाचार के प्रकार Types of news | mass communication notes in hindi

जनसंपर्क का अर्थ, परिभाषा, महत्त्व Public Relation Meaning, Definition | PR In Journalism and Mass Communication