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नाट्य प्रदर्शन अधिनियम, 1876 Dramatic act, भारतीय डाकघर अधिनियम 1898 mass communication notes

नाट्य प्रदर्शन अधिनियम, 1876 Dramatic act, भारतीय डाकघर अधिनियम 1898 Indian post office act, सीमा शुल्क अधिनियम 1962 Tariff act


 
Dramatic act, भारतीय डाकघर अधिनियम 1898 Indian post office act
        Dramatic act, भारतीय डाकघर अधिनियम 1898 Indian post office act

नाट्य प्रदर्शन अधिनियम, 1876 Dramatic Act 1876


इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं-
1. नाटक के रचयिता, स्वत्वाधारी या मुद्रक और स्थान के स्वामी को, प्रदर्शित किए जाने वाले नाटक के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने के लिए

2. प्रदर्शनों के संचालन में सहायता करने वाले व्यक्तियों और दर्शकों तक को भी दण्डित किया जा सकता है। मानहानिकारक, राजद्रोहात्मक, अश्लील और कलंकात्मक नाटकों के
सार्वजनिक प्रदर्शन पर सरकार रोक लगा सकती है।

3. नाटक के रचयिता, स्वत्वाधारी या मुद्रक और स्थान के स्वामी को, प्रदर्शित किए जाने वाले नाटक के बारे में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराने के लिए बाध्य किया जा सकता है।

4. धार्मिक यात्राओं या अन्य धार्मिक प्रदर्शनों पर यह कानून लागू नहीं होगा।

5. अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को तीन महीने के कारावास या जुर्माने अथवा इन दोनों सजाओं से एक साथ दण्डित किया जा सकता है।

6. इसके अन्तर्गत सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित खेल, मूल-अभिनय और नाटक आते हैं।

7. प्रावधानों के अनुसार उपरोक्त प्रकार के प्रदर्शनों के संचालन में सहायता करने वाले व्यक्तियों और दर्शकों तक को भी दण्डित किया जा सकता है।

भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 Indian post office act 1898


भारतीय डाकघर अधिनियम, के अनुसार ऐसी सामग्री, जो अश्लील, राजद्रोहात्मक निन्दात्मक, उत्तेजक या धमकी भरी हो, को डाक द्वारा भेजना अवैध और दण्डनीय हैं। अधिनियम में डाक व तार महापाल या उसके द्वारा अधिकृत अधिकारी को अधिकार है कि वह सन्देह होने पर डाक द्वारा भेजी जा रही किसी सामग्री को रोक लें या खोलकर पढ़/देख ले।
तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए इस अधिनियम के श्रम प्रावधान निम्नलिखित हैं-

1. कोई भी व्यक्ति डाक द्वारा लॉटरी से सम्बन्धित कोई टिकट, प्रस्ताव, विज्ञापन अथवा लॉटरी से सम्बन्धित कोई सामग्री नहीं भेज सकता। लेकिन सरकार द्वारा प्रतिबन्धित अथवा अधिकृत लॉटरियों पर यह धारा लागू नहीं होगी ( धारा 19-अ-1)।

2. कोई भी व्यक्ति डाक द्वारा (क) कोई अशिष्ट या अशलील प्रिंटिंग, पैटर्न, फोटो या लिथो में छपी या नक्काशी की सामग्री, पुस्तक या कार्ड या अशिष्ट या अशलील वस्तु अथवा (ख) ऐसी डाक सामग्री, जिसमें या जिसके ऊपर अशिष्ट, अश्लील , राजद्रोहात्मक, नीचतापूर्ण धमकी भरा या गम्भीर रूप से आपत्तिजनक शब्द, चिह्न या डिजाइन बना हो, नहीं
भेजेगा ( धारा 20) |

3. इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दोषी व्यक्ति को एक वर्ष तक की कैद या जुर्माना अथवा दोनों सजाएँ साथ-साथ दी जा सकती है।

4. घारा 27 (अ) में वर्णित प्रकार के समाचार-पत्रों व पत्रिकाओं को महाडाकपाल द्वारा प्राधिकृत, डाकघर का कोई अधिकारी डाक भेजे जाने की प्रक्रिया के दौरान ही रोक सकता है ( धारा 27/ब)।

5. डाकघर का प्रभारी अधिकारी या महाडाकपाल द्वारा प्राधिकृत व्यक्ति समाचार-पत्र, पैटन या सैम्पल-पैकेट डाक द्वारा भेजते समय खोल सकता है, जिसके बारे में उसे संदेह हो। उससे इस अधिनियम की धारा 20(अ) का उल्लंघन होता है। (धारा 23/2)

6. इस अधिनियम के अनुसार प्रतिबंधित डाक सामग्री को डाक-तार विभाग द्वारा नष्ट भी किया जा सकता है। (धारा 3/1-अ)

7. पुस्तक और समाचार पत्र पंजीकरण अधिनियम 1868 के प्रावधानों के अनुरूप प्रकाशित न होने वाली पत्र-पत्रिकाओं को  डाक द्वारा नही भेजा जा सकता। (धारा 27/अ)


औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954


भारत की अशिक्षित, धर्मभीरू तथा भोली-भाली जनता को अवैध, अश्लील अनुचित तथा चित्ताकर्षक किन्तु आपत्तिजनक विज्ञापनों के आशंकित खतरों एवं षड़यन्त्रों से बचाने के लिए ही यह अधिनियम लाया गया था।
ऐसे विज्ञापन जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जनता को भ्रमित या गुमराह करें तथा औषधि के स्वरूप को गलत परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करें, इस अधिनियम के अन्तर्गत प्रतिबन्धित हैं। ऐसे भ्रामक और आपत्तिजनक विज्ञापनों के प्रकाशन या प्रसारण में विज्ञापक के साथ-साथ प्रकाशक व मुद्रक को भी उत्तरदायी माना जाता है।
इस अधिनियम के अन्तर्गत निम्नलिखित प्रकार की औषधियों के विज्ञापन व प्रचार पर पूर्णतया प्रतिबंध है-

1. महिलाओं के गर्भपात तथा गर्भधारण का आश्वासन देने वाली औषधियाँ।

2. पुरुषों में 'यौन-शक्ति' की वृद्धि का आश्वासन देने वाली औषधियाँ।

3. महिलाओं में मासिक-धर्म से सम्बन्धित रोगों के निदान की औषधियाँ।

4. पागलपन, कोढ़, नपुंसकता, मिर्गी सहित कुल 54 रोगों के उपचार की घोषणा करने वाली औषधियाँ।

5. तन्त्र-मन्त्र, गण्ठा, जादुई व अन्य चमत्कारिक तरीकों से विभिन्‍न प्रकार की बीमारियों की जाँच, निदान आराम या रोकथाम का आश्वासन देने वाली औषधियाँ।

6. अन्य रोगों, विकारों या दशाओं के सम्बन्ध में विज्ञापनों को भी नियम बनाकर अपराध करार दिया जा सकता है।


सीमा- शुल्क अधिनियम, 1962 Tariff act 1962


इस अधिनियम के कुछ प्रावधान पत्र-पत्रिकाओं व पुस्तकों के अवैध आयात-निर्यात से सम्बन्धित है। इसके प्रावधानों में कहा गया है कि प्रतिबन्धित पत्र, पत्रिकाओं, पुस्तकों और अन्य दस्तावेजों के आयात-निर्यात को सरकार द्वारा रोका जा सकता है।

इस अधिनियम के अनुसार
1. सीमा-शुल्क अधिकारी ऐसे व्यक्तियों की तलाशी ले सकते हैं, जिन पर सन्देह हो कि वे प्रतिबन्धित पत्र, पत्रिका या पुस्तक छिपा कर ले जा रहे हैं। यदि कोई व्यक्ति ऐसी प्रतिबन्धित वस्तुओं का आयात या निर्यात करते पकड़ा जाता है, तो उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है।

2. प्रतिबन्धित वस्तुओं को जब्त भी किया जा सकता है।

3. अधिनियम का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति पर प्रतिबन्धित वस्तु के मूल्य के पाँच गुने के बराबर या 100 रुपये, जो भी अधिक हो, तक का जुर्माना किया जा सकता है।

4. प्रतिबन्धित पत्र, पत्रिका, पुस्तक या किसी अन्य दस्तावेज को बरामद करने के लिए प्राधिकृत अधिकारी, किसी परिसर, भवन आदि की तलाशी भी ले सकता है।

5.जुर्माने के अलावा दोषी व्यक्ति को दो माह तक के कारावास की सजा भी सुनाई जा सकती है।

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