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Mass Communication Notes In Hindi ( जन संचार )

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Meaning Of Mass Communication (जनसंचार का अर्थ )

जनसंचार का सामान्य अर्थ लोगों के आपस में विचार, ज्ञान तथा भावनाओं का संकेतों द्वारा आदान प्रदान से है। जनसंचार (mass communication) शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के Communis शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है - किसी बात या विषय का सबके लिए
सांझा करना।

जबकि communication अथवा संचार का सामान्य अर्थ ऐसी प्रकिया से है, जिसके द्वारा किसी भाव अथवा विचार को दुसरों तक पहुँचाया जाता है। साधारणतः संचार शब्द किसी बात को आगे बढ़ाने, चलाने या फैलाने के लिए उपयुक्त होता है।

उल्लेखनीय है कि जब हम किसी भाव को दूसरे तक पहुंचाते हैं और यह प्रकिया सामुहिक रूप से होती है, तो यही जनसंचार कहलाती है। पशु पक्षियों में संचार की प्रकिया देखी जाती है। खतरे के समय ये सामुहिक रूप से शोर मचाना शुरू कर देते हैं।

मनुष्य ने समाज के प्रारम्भिक जनसंचार के तरीकों चीखना चिलाना, संकेत, मुद्राएं आदि से वर्तमान तक स्वंय को परिष्कृत किया है। आज का युग जनसंचार का युग है। इसके बिना सृष्टि की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

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Defination Of Mass Communication (जनसंचार की परिभाषा)

डेनिस मैकवेल के अनुसार, "जनसंचार वह प्रकिया है, जो समुहों में समान भाव का सृजन करती है। समान भाव को विकसित कर एकमत को पैदा करती है तथा पुष्ट बनाती है। जब तक समूह किसी बात पर सहमत नही होंगें तब तक स्वाभाविक है कि संवाद की प्रकिया अधूरी रहेगी।"

एमर्जी एलट एजी के अनुसार, "जनसंचार विचारों, सूचनाओं के आदान-प्रदान का एक माध्यम है।"

ए. बी. सबनुगम के अनुसार, "ज्ञान, अनुभव, संवेदना, विचार और यहाँ तक कि अस्तित्व में होने अभिन्न परिवर्तनों की सांझेदारी ही संचार है और सांझेदारी की यह प्रकिया संचार प्रकिया है।"

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Nature Of Mass Communication (जनसंचार की प्रकृति)

माध्यम (Channel)

जनसंचार माध्यम संचारक तथा प्रापक के बीच सेतू का काम करता है। संचारक किसी भी तरह प्रापक से सम्पर्क करना चाहता है, इसके लिए वह सामान्य माध्यमों का प्रयोग करता है; जैसे आपसी बातचीत, वयक्तिगत सम्पर्क, मीटिंग, टेलीफोन, टेलीविजन, रेडियो, बुलेटिन, समाचार-पत्र, किताबें आदि।
माध्यम के सही चुनाव पर संचार की सफलता निर्भर करती है। यह एक जटिल कार्य हो सकता है, क्योंकि संचारक को एक ऐसे माध्यम का चुनाव करना पड़ता है, जो सर्वश्रेष्ठ हो और वह उससे सफलतापूर्वक अपने संदेश को प्रापक तक पहुंचा सके।

प्रापक ( Receiver)

संचारक का संदेश जिसे प्राप्त होता है, वह प्रापक अथवा श्रोतागण कहलाता है। प्रापक एक व्यक्ति, समूह, समुदाय या जन समूह हो सकता है। संचार प्रकिया में प्रापक उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि संचारक। अतः उसमे वह सभी गुण होने चाहिए, जो एक श्रोता में होते हैं।

प्रतिपुष्टि (Feedback)

जब प्रापक संचारक से सन्देश प्राप्त करता है, तो उस पर उसकी प्रतिक्रिया भी आती है। यही प्रतिक्रिया फीडबैक कहलाती है। निर्विघ्न संचार के लिए फीडबैक का अत्यधिक महत्व है। फीडबैक को गलती को सही करने के रूप में समझा जा सकता है। इससे पता चलता है कि सन्देश की व्याख्या कैसे की गई है? हालांकि जनसंचार में फीडबैक इतनी जल्दी नहीं मिलता जितनी कि आशा की जाती है।


Groups Of Mass Communication (जनसंचार के समूह)

जनता एवं जन - जनता का आकार विशाल होता है। उसका उद्देश्य सामाजिक तथा विभिन्न धार्मिक जीवन शैलियों से जुड़ा होता है। जनता का जीवन किसी शासन प्रणाली का एक अंग होता है। वहीं जन में विभिन्न समूहों से जजुड़े लोगों का उद्देश्य अथवा मत में विभिन्नता नही रहती।

भीड़ - इस प्रकार का समूह आकस्मिक दुर्घटना अथवा प्रदर्शन की स्थिति में तत्काल एक स्थान पर जमा हो जाता है। यह अस्थायी रूप से एकत्र होता है। इस समूह में हिंसा का रूप लेने की सम्भावना लगातार बनी रहती है। इस प्रकार के समूह के असामाजिक तत्व लाभ उठा सकते हैं तथा भावावेश में उतेजक भाषण, नारे आदि दे कर अनायास ही हिंसा की स्थिति पैदा कर सकते हैं।

शोरगुल - यह वह समूह है जो किसी नैतिकता या सांस्कृतिक मूल्यों का पालन नहीं करता, बल्कि शोर शराबे द्वारा साम्प्रदायिक सद्भावना को बिगाड़ने का काम करता है। अप्रत्याशित एवं अशोभनीय व्यवहार इसके अंतर्गत आता है।

श्रोता समूह - यह एक ऐसा समूह है जो केवल सुनने में दिलचस्पी लेता है। यह केवल किसी धार्मिक प्रवचन अथवा किसी विशेष विचारधारा का पोषक होता है। इस समूह को सामान्यतया उदासीन कहा जा सकता है।

लघु समूह - इस प्रकार के समूह में सामाजिक जीवन से प्रभावित परिवार, कुटुम्ब, जाति, सम्प्रदाय, संख्या, राजनीतिक समूह आदि आते हैं। इनके सदस्यों में सम्पर्क, सम्बन्ध, घनिष्ठता अधिक होती है।

संचार का अर्थ, परिभाषा, तत्व, महत्व पढ़े Click Here

जनसंचार माध्यमों के प्रकार

परम्परागत माध्यम - 

परंपरागत संचार माध्यम वह है, जिसमे गायन, वादन, दृश्य, कला का सम्प्रेषण स्थानांतरण सामाजिक समूहों में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को होता रहता है।

इसमे शामिल है -
1. प्राचीन कला, संगीत नाटक, कठपुतली
2. कहानी, किस्सा, गीत
3. उत्सव त्योहार, ग्रामीण सभा, मेला
4. ग्रामीण कला एवं व्यवसाय


आधुनिक माध्यम -
जनसंचार माध्यम वर्तमान औद्योगिक एवं तकनीकी समाज मे विकसित हुए हैं। वर्तमान समय में लाखों लोगों तक एक साथ संचार माध्यमों से सूचनायें प्रेषित की जाती है। जिसका प्रमुख उद्देश्य शिक्षण एंव मनोरंजन होता है। इस उद्देश्य के लिएसमाचार पत्र, सिनेमा, रेडियो, टेलीविजन आदि प्रमुख है।

Elements Of Mass Communication (जनसंचार के तत्व)

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जनसंचार का महत्व 

जनसंचार जीवन को अर्थपूर्ण और जीवन्त बनाता है। संचार का महत्व निम्न बातों में है -

1. सूचना अथवा जानकारी - जनसंचार खबरों का प्रसारण (खासकर संकट अवस्था में) चित्रों, तथ्यों व संदेशों, विचारों और व्यक्तिगत समीक्षा, पर्यावरण, देश विदेश की परिस्थितियों की सही समझ व प्रतिक्रिया तथा उपयुक्त निर्णय लेने के लिए जरूरी है।

शिक्षा - जनसंचार से शिक्षा प्राप्त होती है तथा ऐसे माध्यम से बौद्धिक विकास के साथ साथ चरित्र निर्माण होता है।

मनोरंजन - नाटक, नृत्य कला, साहित्य, संगीत, हास्यकला, खेलकूद आदि का सकेतो, ध्वनि तथा चित्रों द्वारा विकास करना, जिससे मनोरंजन व आनन्द प्राप्त होता है।

समाजीकरण - सामान्य ज्ञान का भंडार उपलब्ध कराना, जिससे लोगों को अपने समाज के प्रभावशाली सदस्य के रूप में जीने में सहायता मिले तथा सामाजिक संबंद्धता विकसित हो।

प्ररेणा- इससे लोगों को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की प्ररेणा मिलती है।

एकीकरण- जनसंचार द्वारा लोगों को एक दूसरे की भावना को समझने का अवसर प्रदान होता है जिससे राष्ट्रीय एकता एवं एकीकरण को बढ़ावा मिलता है।

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