Page Layout Designing In Newspaper | Journalism and mass communication study Material and notes in hindi

Journalism and mass communication study material and notes pdf in hindi 


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                         Journalism and mass communication


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Page Layout Designing in Newspaper

पृष्ठ साज सज्जा 

प्रसिद्ध अमेरिकी साहित्यकार मार्क टवेन के अनुसार, “समाचार-पत्र का पहला कर्तव्य है कि वह सुन्दर दिखे और दूसरा यह कि वह सच बोले।”
समाचार-पत्र एवं पत्रिकाओं में व्याप्त प्रतिस्पर्धा, विज्ञापन की रोचकता एवं
नवीनतम तकनीकी के विकास के कारण पत्रों की पृष्ठ सज्जा पर आजकल सर्वाधिक ध्यान दिया जाना अपेक्षित है। 'डिजाइन' प्रारूप (ले-आउट) तथा 'मेकअप' ये सभी शब्द थोड़े बहुत अन्तर के साथ पृष्ठ सज्जा (page layout) हेतु ही प्रयुक्त किए, जाते हैं। सम्पादकीय अथवा कला विभाग द्वारा 'एक चित्र-नक्शा या सम्भावित प्रारूप कम्पोजिंग विभाग को प्रस्तुत किया जाता है, जिसके अनुसार पृष्ठों का निर्धारण एवं निर्माण होता है। इसे ही 'लेआउट' अथवा 'डमी' कहा जाता है।
ब्रूस वेस्टले तथा बार्नहाट के अनुसार,
“पृष्ठ सज्जा की समस्याएँ सम्पादकीय, कम्पोजिंग तथा छपाई तीनों ही विभागों की समस्या है। पत्र के व्यक्तित्व निर्धारण में इन सभी की सर्जना शक्ति एवं उपलब्ध साधनों के सदुपयोग की क्षमता ही उत्तरदायी होती है।

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साज सज्जा के उद्देश्य Objects of Page Layout Designing

पृष्ठ साज-सज्जा के निम्नलिखित उद्देश्य हैं -

1. समाचार-पत्र आकर्षक बनाने के लिए

 2. उसे नए रंग-ढंग के साथ प्रस्तुत करना।

3. पत्र को अधिक जीवन्त एवं सजीव बनाकर लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना।

4. महत्त्व के अनुसार समाचार के लिए अपेक्षित आकार तथा स्थान को निर्धारित
करना।

5. समाचारों को क्रमबद्ध करना तथा पाठकों को मनोनुकूल समाचार प्राप्त करने में सहयोग करना।

6. समकालीन समाचार-पत्रों के मध्य एक स्वच्छ प्रतिस्परद्धा की स्थापना करना।

पृष्ठ साज सज्जा के सिद्धांत

डिजाइन तथा ग्राफिक्स की नित-नवीनता और विविधता ही साज-सज्जा की सफलता का मूल मन्त्र है। इनमें भी कुछ सामान्य नियम होते हैं, जो अधिकांश लोगों द्वारा पसन्द किए जाते हैं, जबकि
कुछ नियम परम्परा और नवीनता को समान रूप से प्रश्नय देते हैं।

वे नियम जो साज-सज्जा को पर्याप्त महत्त्व देते हैं; उनके कुछ प्रमुख सिद्धान्त हैं, जोकि इस प्रकार हैं-

सन्तुलन


किसी भी कृति को सुन्दर बनाने में सन्तुलन की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। सन्तुलन वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों ही तरह का हो सकता है। इसके अन्तर्गत पत्र में प्रकाश्य सम्पूर्ण सामग्री के शीर्षक, विज्ञापन और चित्र को एक मनोरम अनुपात में आकर्षक तरीके से सुव्यवस्थित किया जाता है, जिससे पत्र में गम्भीरता एवं विश्वसनीयता आती है।

गति


गति का अर्थ नेत्रों की उस स्थिति से है, जो पत्र में विभिन्‍न स्थानों पर क्रमश: और लगातार सक्रिय होती है। नेत्रों की गति और साज-सज्जा मनोवैज्ञानिक रूप से परस्पर एक-दूसरे से सम्बन्धित होती है। दर्शकों अथवा पाठकों की आँखें स्वाभाविक रूप से जिस तरह पृष्ठ पर गतिशील होती हैं, उसके अनुसार डिजाइन व ग्राफिक्स को संयोजित
कर यह प्रयास किया जाता है कि वह स्वाभाविक क्रम में पाठकों की आँखों को एक से दूसरे महत्त्वूपर्ण विषय की ओर उन्मुख करे।

फोकस


फोकस वह बिन्दु होता है, जहाँ पाठकों का ध्यान सर्वाधिक केन्द्रित होता है। समाचार पृष्ठ में यह स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होता है। भाषा की प्रकृति, साज-सज्जा का प्रभाव और पाठकों के पत्र पढ़ने का ढंग । इन तीनों द्वारा मुख्य फोकस बिन्दु का निर्धारण होता है।
हिन्दी-अंग्रेजी समाचार -पत्रों का मुख्य फोकस बिन्दु पृष्ठ के बाईं ओर का ऊपरी स्थान होता है, जबकि उर्दू पत्रों का मुख्य फोकस बिन्दु पृष्ठ के दाहिनी ओर ऊपरी भाग में होता है। हिन्दी पत्र के भीतरी पृष्ठों में मुख्य फोकस बिन्दु दाहिनी ओर ऊपर की ओर होता है। डिजाइन, ग्राफिक्स आदि के क्रम में यही सिद्धान्त व्यवहार में लाया जाता है।

विरोधाभास


किसी समाचार को अपेक्षाकृत अधिक महत्त्व देने के लिए तथा पृष्ठ सजाने और संवारने के लिए विरोधाभास अथवा
'कण्ट्रास्ट' का प्रयोग किया जाता है। यह पाठकों के ध्यान को आकर्षित करने का एक सशक्त माध्यम है। रोमन, इटेलिक, लाइट फेस, बोल्ड फेस, टाइप एवं लाइन ब्लॉक, हाफ टोन ब्लॉक आदि का उपयोग विरोधाभास उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

संगति

यह विरोधाभास के बिल्कुल विपरीत स्थिति है। टाइप या अन्य आकारों को इसमें एक साथ रखा जाता है, जिनमें परस्पर सामंजस्य बैठता है। इस प्रक्रिया में पूरे पृष्ठ को एक इकाई के स्वरूप में देखा जाता है और विशिष्ट आकार, टाइप तथा ब्लॉक्स को इस तरह से संगत किया जाता है कि वे देखने में विसंगतियुक्त न लगें। सन्तुलन विरोधाभास, गति और फोकस बिन्दु को ध्यान में रखकर पृष्ठ प्रभावशाली बनाए जाते हैं।

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पृष्ठ साज सज्जा के प्रकार Types of Page Layout Designing


1. टेबलॉयड पत्र पृष्ठ-सज्जा  “टेबलॉयड' शब्द का अर्थ है - 'छोटे आकार का पत्र' परन्तु आजकल सनसनीखेज
समाचार-पत्रों के पर्याय के रूप में भी इसका उपयोग हो रहा है। अक्सर इन समाचार-पत्रों में मुख्य समाचार प्रथम एवं
अन्तिम पृष्ठ पर प्रकाशित होता है। टेबलॉयड-पत्र आकार में लघु होने के कारण स्थानीय समाचारों को प्रथम पृष्ठ पर छापते हैं।

2. सरकस पृष्ठ साज-सज्जा
जब साज-सज्जा से सम्बन्धित सिद्धान्तों, नियमों की पूर्ण अवहेलना करते हुए मनमाने ढंग से पृष्ठ साज-सज्जा की जाती है, तो उसे ही सरकस साज-सज्जा कहते हैं। इसमें समरसता को भूलकर
विरोधाभास द्वारा सन्तुलन बनाया जाता है। इसमें अधिकांशत: बड़े काले टाइप का प्रयोग किया जाता है।

3. ब्रोकेन पृष्ठ-सज्जा
इस प्रकार की साज-सज्जा में सहमति
और सन्तुलन की उपेक्षा होती है, इसीलिए इसे ब्रोकेन पृष्ठ साज-सज्जा कहते हैं। इस पद्धति में किसी एक समाचार को विशेष महत्त्व न देकर सभी समाचारों को समान रूप से प्रस्तुत करके पाठकों का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। सनसनीखेज पत्रों, ऐसी चौंकाने वाली पद्धति को भी वरेण्य माना जाता है, जिसमें पूरा-का-पूरा पृष्ठ इकाई के रूप में नहीं अपितु कई खण्डों में विभाजित होता है।


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आधुनिक पृष्ठ साज सज्जा Modern Page Layout Designing


वर्तमान समय में साज-सज्जा में परम्परागत सिद्धान्तों को व्यवहार में नहीं लाया जाता है। इस क्षेत्र में प्रतिदिन नए प्रयोग हो रहे हैं। आजकल साज-सज्जा हेतु आधुनिक स्वच्छ टाइप, आकर्षक शीर्षक संरचना, चित्रात्मक सामग्री और क्षेतिज मेकअप की पद्धति को प्रधानता दी जा रही है। समय-सीमा और संस्करण की क्षिप्रता साज-सज्जा को प्रभावित करने वाले तत्त्व हैं। नए-नए प्रयोग और नवीनता आजकल के पत्रकारों की प्रवृत्ति बनती है जिसके परिणामस्वरूप पत्र-जगत में परम्परावादी पद्धतियों से हटकर प्रभावशाली एवं कलात्मक साज-सज्जा देखी जा सकती है। अत्यन्त अल्प समय में श्रेष्ठतम स्वरूप प्रदर्शित करने हेतु दैनिक पत्रों के सम्पादकों और कला विशेषज्ञों का विवेक ही पत्रों के स्वरूप को निर्धारित करता है।

समाचार-पत्रों के विविध पुष्ठों को सजाने व संवारने के सन्दर्भ में निम्नलिखित निर्देशों पर ध्यान देने की आवश्यकता है

1. महत्त्वपूर्ण समाचारों को सबसे ऊपर के पृष्ठ पर दिया जाए।

2. समाचार के महत्त्व के अनुरूप टाइप के आकार का प्रयोग किय जाए।

3. शीर्षकों के बीच सन्तुलन हो।

4. समाचार एवं शीर्षक की टाइपिंग में विविधता हो।

5. लम्बे समाचार में दो-दो स्टिक पर उपशीर्षक दिए जाएँ, जिससे समाचार के प्रति पाठक की रुचि बनी रहे।

6. विज्ञापन या चित्र से सटा हुआ बॉक्स समाचार पृष्ठ पर प्रस्तुत न हो।

7. पृष्ठ के ऊपर का बायाँ भाग अति महत्त्वपूर्ण होता है, इसलिए प्रमुख अथवा विशेष समाचारों का पृष्ठांकन बाईं ओर ही किया जाना चाहिए।



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