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पत्रकारिता का काल विभाजन ,Journalism And Mass Communication Gk

Journalism And Mass Communication Chapter 5



हिंदी पत्रकारिता का काल विभाजन

स्वतन्त्रता पूर्व हिंदी पत्रकारिता

1. शुक्ल पूर्व युग (1825 ई० तक)जुगल किशोर शुक्ल से पूर्व
2. शुक्ल युग (1826-67) जुगल किशोर के समय
3.भारतेन्दु युग (1867-1900)
4.द्विवेदी युग (1900-20)
5.गाँधी युग (1920-47)

स्वतंत्रता पश्चात हिंदी पत्रकारिता

1. बीसवीं सदी उत्तरार्द्ध काल
2.इकीसवीं सदी (प्रथम दशक)

शुक्लपूर्व युग(1825 तक) में 1826 में प्रथम हिंदी पत्र 'उदन्त मार्तंड' के सम्पादक व प्रकाशक जुगल किशोर शुक्ल से पूर्व हिन्दी पत्रकारिता के लिए किए गए छुट पुट प्रयास सम्मिलित है। शुक्ल जी द्वारा निकाले गए पत्रों 'उदंत मार्तंड' और 'सामदण्ड मार्तंड' के अलावा इस युग में दैनिक समाचार सुधावर्षण, पयामे आज़ादी, बनारस अखबार, मार्त्तण्ड, जगदीप भास्कर, सुधाकर, मालवा, बुद्धिप्रकाश, सर्वहितकारण, सत्य दीपक आदि पत्र निकले।

भारतेन्दु युग में भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने स्वयं कविवचन सुधा, हरिश्चन्द्र मैगज़ीन, हरिश्चन्द्र चन्द्रिका, निकाली। हिंदी प्रदीप, अल्मोडा अखबार,  बिहार बन्धु, जबलपुर समाचार, सार सुधा, निधि, हिंदी बंगवासी, भारतमित्र उचितवक्ता, सदादर्श आदि पपत्रों का प्रकाशन हुआ। इसी युग में दैनिक 'हिंदोस्तान', राजपुताना गजट, राजस्थान समाचार, सर्वहित आदि पत्र भी निकले।

द्विवेदी युग में महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित मासिक 'सरस्वती' की धूम रही। कलकत्ता के पत्र 'नृसिंह', 'विश्वमित्र', स्वतंत्र, कलकत्ता समाचार, देवनागर तथा अन्य स्थानों पर भी निकले कई पत्र चर्चित रहे।

गांधी युग मे स्वयं महात्मा गांधी ने हिंदी नवजीवन और हरिजन सेवक पत्रों का प्रकाशन किया, जिनके सम्पादक हरिभाऊ उपाध्याय रहे। इसी युग मे दैनिक आज, संसार, सैनिक, दैनिक हिंदुस्तान,  कल्याण, संघर्ष, नवज्योति, नवभारत टाइम्स, नवीन राजस्थान, लोकवाणी, नई दुनिया, नवभारत, इंदौर समाचार आदि उल्लेखनीय पत्र निकले।

आज़ादी के बाद तो भारी संख्या में पत्रों का प्रकाशन हुआ। इनमे जागरण, नवजीवन, स्वतंत्र भारत, सन्मार्ग, वीर अर्जुन, वीर प्रताप, स्वदेश, भास्कर, अमर उजाला, राजस्थान पत्रिका, राष्ट्रदूत,  धर्मयुग, सारिका, नवनीत, कादम्बिनी, सरिता, मुक्ता, चंदामामा, गुड़िया, दिनमान, रविवार, अवकाश, बालभारती, आजकल,पराग, माया, मनोरमा, गृहशोभा, मेरी सहेली, हंस, गंगा, ज्ञानोदय आदि पत्र उल्लेखनीय थे।


उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड

उत्तर प्रदेश में पहला हिंदी पत्र बनारस अखबार 1845 ई० में उर्दू सम्पादक राजा शिवप्रसाद सितारे हिन्द द्वारा काशी से प्रकाशित किया गया था। परन्तु डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र ने इस पत्र का प्रकाशन 1844 ई० में आरंभ होना बताया है।

उत्तर प्रदेश में हिन्दी-पत्रकारिता की गति बंगाल की अपेक्षा धीमी ही थी। अंग्रेज सरकार ने पत्रकारिता पर कड़ा शिकंजा कस रखा था । जनता को जन-जागरण का कोई भी मौका देना नहीं चाहती थी।

उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के मुख्य पत्र व उनके सम्पादक

uttar pardesh v utrakhand ke news paper
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बिहार और झारखंड 

बिहार का पहला अखबार बिहार बन्धु' शुरू में कलकत्ता से निकला था। इसे निकालने में मदनमोहन भट्ट और केशवराम भट्ट का काफी सहयोग रहा। 1874 ई. में यह पटना से निकलने लगा यह वर्ष 1924 तक निकलता रहा। इस पत्र ने बिहार की उल्लेखनीय सेवा की। इसने एक ओर जनपदीय
और साहित्यिक पत्रकारिता की, दूसरी ओर जन-जागरण का भी कार्य किया और ब्रिटिश शासन से लोहा लिया।

बिहार के ही खड्गविलास प्रेस (1880) से भी अनेक पत्रों का प्रकाशन हुआ। बिहार के पत्र दीर्घजीवी नहीं रहे, जल्दी ही वे काल-कवलित हो जाते। रामदीन सिंह के सहयोग से शिक्षा, क्षत्रिय पत्रिका, हरिश्चन्द्र मैगजीन आदि का प्रकाशन हुआ। मोतीचूर, विद्या, हिन्दी-गजट आदि का प्रकाशन हुआ। 1880 ई. में विचार विनोद (बद्रीनाथ) प्रकाशित हुआ। शिक्षा का प्रकाशन छ: दशकों तक होता रहा।

बिहार और झारखंड से निकले मुख्य पत्र/पत्रिकाओं की सूची

bihar or jharkhand ke newspaper
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मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से निकले मुख्य पत्र/पत्रिकाओं की सूची

madhya pardesh or chhatisgharh ke newspaper
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