Media Law And Ethics (Journalism and mass communication notes)
मीडिया लॉ एंड एथिक्स जनसंचार एवं पत्रकारिता नोट्स
is post me aap media law and ethics{media kanoon or sahinta, pustak avm samachar paridan adhiniyam,ke baare me padhenge.पुस्तक एवं समाचार (सार्वजनिक पुस्तकालय) परिदान अधिनियम, 1954
इस अधिनियम को मुख्य रूप से इसलिए लागू किया गया ताकि भारत से प्रकाशित होने वाली पुस्तकें और समाचार-पत्र भारत सरकार/राज्य सरकार तथा कुछ प्रमुख पुस्तकालयों को उपलब्ध हो सकें।
इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं
1. इस अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर प्रकाशक को ₹ 50 तक के जुर्माने की सजा दी जा सकती है। पुस्तक के सम्बन्ध में ₹ 50 के अलावा पुस्तक की कीमत भी जुर्माने में शामिल की जा सकती है।
2. यह अधिनियम सरकार या उसके विभिन्न विभागों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों पर भी लागू होता है, बशर्तें वह पुस्तक केवल सरकारी उपयोग द्वारा ही न हो।
3. प्रत्येक प्रकाशन अपनी पुस्तकों व पत्र-पत्रिकाओं की एक-एक प्रति भारत सरकार द्वारा अधिसूचित कुछ सार्वजनिक पुस्तकालयों को अपने खर्चे पर नि:शुल्क देंगे।
4. अधिसूचित पुस्तकालयों को ये प्रतियाँ प्रकाशित होने के 30 दिनों के भीतर पहुँच जानी चाहिए। इस प्रकार परिदान की गई पुस्तकें ठीक वैसी ही होनी चाहिए जैसी प्रकाशक द्वारा बिक्री हेतु जारी की गई है।
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Media law and ethics
स्मरणीय तथ्यभारतीय सरकारी रहस्य अधिनियम, 1923 को 'शासकीय गुप्त बात अधिनियम' के नाम से भी जाना जाता है।
भारतीय संविधान में जिन संसदीय विशेषाधिकारों का उल्लेख किया गया है, वे विशेषाधिकार केवल दोनों सदनों, उनकी समितियों एवं उनके सदस्यों को ही प्राप्त हैं।
न्यायालय अवमान अधिनियम, 1971 के अनुसार अवमानना का अर्थ है - जान-बूझकर न्यायालय के निर्णय, निर्देश, डिक्री, आदेश रिट या किसी भी माध्यम द्वारा प्रकाशन एवं प्रसारण द्वारा निन्दा करना।
हिन्दी की पहली पुस्तक 1802 ई. में फोर्ट विलियम कॉलेज, कलकत्ता द्वारा हरकास प्रेस कलकत्ता में मुद्रित हुई।
वर्तमान समय में पुस्तकों के प्रकाशन पर प्रेस एवं पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 ई. के प्रावधान लागू होते हैं।
विश्व का पहला कॉपीराइट कानून 1710 ई. में इंग्लैण्ड में अस्तित्व में आया।
1847 ई. में पहली बार भारतीय कॉपीराइट कानून बना, इसके बाद इंग्लिश कॉपीराइट एक्ट, 1911 बनाया गया, जो अगले वर्ष 31 अक्टूबर, 1912 को सम्पूर्ण भारत में लागू हुआ।
भारतीय कॉपीराइट कानून, 1957 को कृति स्वाम्य अधिनियम भी कहा जाता है, जो 21 जनवरी, 1958 से भारतवर्ष में लागू है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-19 के अलावा भारतीय दण्ड संहिता में भी मानहांनि से सम्बन्धित प्रावधान किए गए हैं।
भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 499 के अनुसार, राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी
ईमानदारी, यश, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि एवं मान-सम्मान आदि को सुरक्षित रखने का पूरा अधिकार है।
भारतीय सरकारी रहस्य अधिनियम, 1923 एक ऐसा महत्त्वपूर्ण अधिनियम है, जो व्यक्ति की सुरक्षा के साथ-साथ सीमाओं की रक्षा से भी सम्बन्धित है।
औषधि एवं चमत्कारिक उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 भारत की अशिक्षित तथा भोली-भाली जनता को अवैध, अश्लील तथा आपत्तिजनक विज्ञापनों के आशंकित खतरों से बचाने के लिए लाया गया है।
पुस्तक एवं समाचार-पत्र (सार्वजनिक पुस्तकालय) परिदान अधिनियम, 1954 इसलिए लागू किया गया, ताकि भारत भर से प्रकाशित होने वाली पुस्तकें एवं समाचार-पत्र, भारत सरकार/राज्य- सरकार तथा कुछ
प्रमुख पुस्तकालयों को उपलब्ध हो सकें।
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