Interview meaning, definition, objects and observation types, qualities
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Interview meaning, definition, objects and observation types |
अवलोकन Observation
अवलोकन प्रविधि Observation Method
संचार शोध में यह एक व्यापक प्रविधि है, जहाँ शोधकर्ता किसी भी घटना को अपने समक्ष घटित हुए देखता है, तो निश्चित ही वह विश्वसनीय परिणामों की ओर ही अग्रसर होता है।
पीवी यंग के अनुसार, “वैज्ञानिक अवलोकन में निश्चित उद्देश्यों के निर्माण, आयोजन तथा आलेखन में व्यवस्था तथा वैज्ञानिक परीक्षणों व नियन्त्रणों को लागू करना आवश्यक हो जाता है।”
मोजर के अनुसार, “अवलोकन वैज्ञानिक अनुसन्धान की शास्त्रीय पद्धति है।”
अवलोकन से तात्पर्य देखना, निरीक्षण करना होता है। यानि अवलोकन
1. घटना की आंखों के माध्यम से पड़ताल है।
2. उद्देश्य एवं सूक्ष्मता लिए हुए है।
3. पारस्परिक सम्बन्धों एवं कार्यकरण का पता लगाता है।
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अवलोकन की विशेषताएँ Qualities of Observation
अवलोकन की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. प्राथमिक सामग्री संकलन का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
2. इसमें ज्ञान देने वाली इन्द्रियों को समझने हेतु प्रयुक्त किया जाता है।
8. इसमें सम्पूर्ण अध्ययन अनुभव आधारित होता है।
4. यह पद्धति प्रभावी होने के कारण वैज्ञानिक सुनिश्चितता बनी रहती है।
5. यह घटनाओं एवं तथ्यों की एक प्रत्यक्ष विधि है।
6. निष्पक्षता का समावेश।
अवलोकन के गुण
अवलोकन के महत्त्वपूर्ण गुण इस प्रकार है-सरलता
अवलोकन करने वाला व्यक्ति घटनाओं को जिस स्वरूप में देखता है, उसी क्रम में वह उनका विवरण भी प्रस्तुत करता है। यही कारण है कि इसमें सरलता का गुण निहित होता है।
वस्तुनिष्ठता
क्यों, क्या, कब, जैसे प्रश्नों का उत्तर व्यक्ति स्वयं आकलन कर सकता है। याददाश्त की भूलों, अतिशयोक्ति, भावनाओं आदि के नकारात्मक सन्दर्भों से बचा जा सकता है।विश्वसनीयता
चूँकि इसमें घटना देखकर तत्सम्बन्धी विवरण दिए जाते हैं, इस कारण प्राप्त सूचना 'अवलोकन' विधि में विश्वसनीयता बनी रहती है।सत्यापनशीलता
अवलोकन विधि में एक घटना के क्रम में प्राप्त तथ्यों की सत्यापन की पुष्टि की जा सकती है।सार्वमौमिक प्रविधि
प्राय: समस्त प्रकार के विज्ञानों और सामाजिक पक्षों में इस विधि को प्रयुक्त किया जाता है। प्रयोगों से लेकर सामाजिक विषयों तक प्रत्येक स्तर पर अवलोकन प्रविधि को ही अपनाया जाता है।प्राककल्पना में सहायक
प्राक्कल्पना में जो तथ्य समाविष्ट किए जाने है उनका अवलोकन के माध्यम से परीक्षण कर लिया जाता है।अवलोकन के प्रकार Types of Observation
अवलोकन के प्रकार निम्नलिखित हैं-1. अनियन्त्रित अवलोकन
अनियन्त्रित अवलोकन लगभग सभी नियन्त्रणों से होते हैं। न तो इसमें अवलोकनकर्ता पर कोई नियन्त्रण होता है और न ही प्रेषक हेतु घटना पर कोई नियन्त्रण होता है। इस प्रकार के अवलोकन मे सरलता व स्वतन्त्रता के पक्ष मिलते हैं। ऐसे अवलोकन के पक्ष साहित्यकारों व पत्रकारों द्वारा प्रमुखता से किए जाते हैं, किन्तु इसमें नियन्त्रण का अभाव होता है।2. नियंत्रित अवलोकन
ऐसे अवलोकन में अवलोकनकर्ता का मुख्य लक्ष्य आश्रित व स्वतन्त्र चरों को लेकर अवलोकन करना होता है।3. सहभागी अवलोकन
अवलोकन के इस पक्ष में अवलोकनकर्ता पक्ष की क्रियाशील इकाइयों के साथ सक्रिय सहभागिता करता है और अवलोकनकर्ता के रूप में अपनी पहचान को छिपा लेता है।4. असहभागी अवलोकन
इस प्रकार के अवलोकन में अवलोकनकर्ता घटना पक्षों से अलग होकर अध्ययन करता है। वह घटना से अलग रहकर घटना मे वस्तुपरक आँकड़े संकलित करता है।5. अर्द्घ-सहभागी अवलोकन
इसमें सहभागी एवं असहभागी अवलोकन की समन्वय होता है।अवलोकन की सीमाएँ Boundaries of Observation
अवलोकन की सीमाएँ भी हैं, जो निम्नलिखित हैं-1. सीमित क्षेत्र में प्रयुक्त
2. पक्षपात हेतु पर्याप्त अवसर
3. विशिष्ट घटनाओं में यह उपयुक्त नहीं
4. ज्ञानेन्द्रियों के दोषों का समावेश
साक्षात्कार Interview
साक्षात्कार की परिभाषा Definition of Interview
साक्षात्कार अंग्रेजी भाषा के "इण्टरव्यू" शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है। अंग्रेजी के इण्टर (Inter) का अर्थ होता है- भीतर तथा व्यू (View) का अर्थ होता है- झाँकना अथवा देखना।
दोनों को मिलाकर अर्थ होता है- भीतर देखना अर्थात् वह विधि, जिसके द्वारा व्यक्ति के भीतर झाँका जा सके। दूसरे शब्दों में, “साक्षात्कार का अर्थ एक ऐसी विधि, जिसके द्वारा किसी व्यक्ति की आन्तरिक स्थिति के विषय में जानकारी प्राप्त की जा सके।
पीवी यंग के अनुसार, “अपेक्षाकृत अपरिचित व्यक्ति के आन्तरिक जीवन में झाँकने अर्थात् जानकारी प्राप्त करने की एक विशिष्ट विधि है"
करलिंगर के अनुसार, “साक्षात्कार को एक अन्तर्वेयक्तिक भूमिका वाली एक ऐसी परिस्थिति मानता हैं, जिसमें दो व्यक्ति आमने-सामने बैठते हैं तथा एक (साक्षात्कारकर्ता ) दूसरे से उन प्रश्नों के उत्तर प्राप्त करने का प्रयास करता है, जिनका सम्बन्ध उसकी अनुसन्धान समस्या से है।”
डेंजिन के अनुसार, “साक्षात्कार आमने-सामने किया गया एक संवादयुक्त आदान-प्रदान है, जहाँ एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से कुछ सूचनाएं प्राप्त करता है।”
सफल साक्षात्कार के महत्त्वपूर्ण बिन्दु
साक्षात्कार का सफल संचालन व समापन एक कला है। अत: इस सम्बन्ध में कुछ मुख्य संकेत संक्षिप्त रूप में दिए गए हैं-1. उत्तरदाता को उत्तर देने में मैत्रिक स्वतन्त्रता
2. उत्तरदाता से सफल मैत्रिक भावना की स्थापना
3. प्रक्षेपी आधार पर प्रश्नों को पूछना
4. समय-समय पर वार्तालाप के बीच में मनोरंजन की भी बातें करते रहना
5. प्राप्त उत्तरों को सावधानीपूर्वक तथा सहानुभूतिपूर्वक सुनना
6. साक्षात्कार का सफल व सन्तोषजनक समापन करना
7. उत्तरों का व्यापक तथा परिशुद्ध अभिलेखन करना
8. उत्तरदाता से अत्यधिक घनिष्ठता से बचना
9. रूढ़िबद्ध प्रश्नों तथा उत्तर-निर्देशक प्रश्नों का यथासम्भव बहिष्कार करना
10. अप्रत्यक्ष प्रश्नों की रचना
11. वस्तुपरक तथा व्यापक साक्षात्कार- अनुसूची की रचना, निर्धारण मापनियों का उपयोग
12. संवेदनशील प्रश्नों को समयानुसार ही पूछना
13. उत्तरदाता को विस्तृत, व्यक्तिगत व सूक्ष्म उत्तरों को देने के लिए प्रेरित करते रहना
14. प्रेरणात्मक अन्तर्क्रिया
15. उत्तरों के अभिलेखन में यथासम्भव यान्त्रिक साधनों का उपयोग करना
उपरोक्त संकेतों के यथासम्भव उपयोग से साक्षात्कार को सफल रूप से आयोजित किया जा सकता है और साक्षात्कार प्रक्रम में घटित होने वाली अनेक प्रकार की त्रुटियों से बचा जा सकता है।
साक्षात्कार का महत्व Importance of Interview
गुडे एवं हॉट के अनुसार, “साक्षात्कार अनुसन्धान की कोई पृथक् प्रणाली नहीं है, अपितु तथ्य संग्रह का एक प्रभावपूर्ण उपकरण है। यह अन्य उपकरणों द्वारा संकलित तथ्यों में सत्यापन में सहायता करता है।''
साक्षात्कार के महत्त्व को निम्नांकित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
गोपनीय सूचनाएँ देना
साक्षात्कार में सूचनादाता को विश्वास में लेकर उससे गोपनीय सूचनाएँ प्राप्त की जा सकती है, जबकि इन सूचनाओं को वह लिखित रूप में नहीं देना चाहता।व्यक्तिगत सम्पर्क में सहायक
साक्षात्कार को छोड़कर अन्य किसी उपकरण में व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करने का अवसर प्राप्त नहीं होता है।शोध के उद्देश्य का स्पष्टीकरण
साक्षात्कार ही ऐसी विधि है, जिसमें शोधकर्ता अपने उद्देश्यों का स्पष्टीकरण सूचनादाताओं को दे सकता है।व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक गुणों की जानकारी
इस विधि द्वारा व्यक्ति के विचार, चिन्तन, मनोभाव और चारित्रिक गुणों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकती है।लचीलापन
विषय-वस्तु एवं संचालन की दृष्टि से यह लचीला साधन है।व्यक्ति को अवसर
साक्षात्कार में सूचनादाता को भी अपनी समस्याएँ प्रकट करने का अवसर प्राप्त होता है।प्रेक्षण का अवसर
साक्षात्कार के समय साक्षात्कारकर्ता को सूचनादाता के व्यवहार का प्रेक्षण करने का भी अवसर प्राप्त होता है।प्रश्न पूछने की स्वतन्त्रता
इसमें प्रश्नावली की भाँति प्रश्नों की संख्या सम्बन्धी प्रतिबन्ध नहीं होता है साक्षात्कारकर्ता कितने ही प्रश्न पूछ सकता है।अन्य विधियों से प्राप्त तथ्यों का सत्यापन
प्रेक्षण, प्रश्नावली आदि उपकरणों के द्वारा संग्रहित तथ्यों का सत्यापन साक्षात्कार के द्वारा हो सकता है।साक्षात्कार के लाभ Benifit of Interview
गॉर्डन (1969) ने साक्षात्कार के लाभों का उल्लेख किया है जो इस प्रकार है-
साक्षात्कार का प्रयोग सभी तरह के व्यक्तियों पर, चाहे वे शिक्षित हों या अशिक्षित हों, आसानी से किया जा सकता है।
साक्षात्कार में शोधकर्ता के लिए परिस्थिति पर नियन्त्रण रखना काफी आसान होता है, जिसका परिणाम यह होता है कि साक्षात्कारकर्ता उचित प्रश्नों को पूछ पाता है तथा साथ-ही-साथ प्रत्यर्थी उसका उत्तर सही-सही ढंग से दे पाता है।
साक्षात्कार द्वारा साक्षात्कारकर्ता कम समय में ही वांछित सूचनाओं को प्राप्त कर लेता है।
साक्षात्कार में शोधकर्ता या साक्षात्कारकर्ता को प्रत्यर्थी से कुछ अशाब्दिक संकेत भी प्राप्त होता है।
साक्षात्कार ही एक ऐसी विधि है, जिसमें शोधकर्ता पूर्णतः इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाता है कि प्रत्यर्थी ने पूछे गए प्रश्नों की व्याख्या ठीक ढंग से की है।
साक्षात्कार में प्रश्नों में लचीलापन होने के कारण शोधकर्ता के लिए कम समय में गहन जानकारी प्राप्त करना सम्भव हो पाता है। इसके अन्तर्गत प्रश्न नहीं समझ में आने पर उसे पुनः दोहरा कर या कुछ परिवर्तन कर पूछा जा सकता है। इस ढंग की सुविधा प्रश्नावली विधि में नहीं है।
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